Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान आत्माराम है, आत्मा श्री राधा रानी है. भगवान आप्तकाम है. वांछित पदार्थ अर्थात् ईक्षित पदार्थ। भगवान का वांछित कार्य क्या है. भगवान किस लिए आये. गौर्भूत्वा- संग गो तनु धारी, भगवान गाय माता के लिये पधारे. भगवान ने अवतार लेकर क्या किया? भगवान ने अवतार ले करके गौ सेवा किया। नंगे पांव गौ माता की सेवा में रहे. गौ माता की सेवा में कई व्रत पालन किये. गाय की चरण रज मस्तक पर धारण किये.
भगवान का अभीष्ट गौ माता है. भगवान का जो अभीष्ट है, वह आप करने लग जाओ, अर्थात् गौ माता की सेवा करो, आप भगवान की प्रसन्नता प्राप्त कर लेंगे. भगवान कहते हैं कि जो हमारी सेवा करे, लेकिन जो हमारा अभीष्ट है, प्रिय है वह न करें, वह मुझे प्रिय नहीं होता. गाय की सेवा करना-गौ माता को मां मानकर सेवा करना चाहिए. भगवान शंकर कहते हैं जो गाय को पशु मानते हैं, वे स्वयं पशु हैं। वे संसृति के चक्कर से छूट नहीं सकते. गौ माता चलती फिरती समस्त देवताओं का मंदिर है.
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना. श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).