Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संत बनो प्रत्येक नगर में कोई न कोई संत और महान लोग आवश्यक होते हैं। यदि वे न हों तो वह शुभ संकेत नहीं है। परंतु शास्त्रों में कहा गया है कि संत का मिलन बड़ा दुर्लभ है। क्योंकि संत को पहचानना बड़ा मुश्किल है। इसीलिए शास्त्र तो कहना चाहते हैं की संत को ढूंढने के बजाय आप भगवान के भक्त क्यों नहीं बनते। संतों की इंद्रियों एवं चित्त को भक्ति का भारी व्यसन होता है।
एक क्षण भी वह बिना हरि स्मरण के नहीं रह सकते। जबकि साधारण प्राणियों को भक्ति के स्थान पर दूसरे व्यसन होते हैं। आज ही अपनी आंखें, इंद्रियां एवं वृत्तियां परमात्मा की भक्ति के ब्यसन में लगेगी। ऐसा निश्चय करो। भगवान् के वृत्तीय प्रशिक्षण प्रभु स्मरण में और अपनी आप में ही संत के दर्शन करो जिसके मन में पुत्र होने पर भी आनंद, ना होने पर भी आनंद और पुत्र के समाप्त हो जाने पर भी आनंद है उसका नाम भक्त है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).