जिसका हृदय ज्ञान, वैराग्य और भक्ति से परिपूर्ण होता है, वही उत्तम कहलाता है वक्ता: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, वक्ता-श्रोता- जिसका हृदय ज्ञान, वैराग्य और भक्ति से परिपूर्ण होता है, वही उत्तम वक्ता कहलाता है. कुछ वक्ता में ज्ञान तो होता है, पर वैराग्य नहीं होता। कुछ में ज्ञान एवं वैराग्य दोनों होते हैं पर भक्ति का अभाव रहता है. ऐसी अपरिपूर्णता के कारण ही रसमय शब्द-ब्रह्म का अनुभव नहीं हो सकता. आटा , घी एवं शक्कर यदि ठीक प्रमाण में हों तभी लड्डू का स्वाद लिया जा सकता है इसी तरह ज्ञान, भक्ति एवं वैराग्य परिपूर्ण हों, तभी प्रभु-भक्ति का आस्वादन किया जा सकता है.

मातृशुद्धि, वंशशुद्धि, आत्मशुद्धि, अन्नशुद्धि और द्रव्यशुद्ध इन पांच शुद्धियों से जिसका जीवन निर्मित हुआ हो, ऐसा श्रोता ही परीक्षित जैसा उत्तम श्रोता सिद्ध होता है और उसी को ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की पूर्णता वाला उत्तम वक्ता प्राप्त होता है. यदि हृदय हमेशा भगवद् भाव में ही डूबा होगा तो पाप एवं विकार का नाश होगा. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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