Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, एक ही शहर के, एक ही गली के, एक ही मकान में, मैं और वो दोनों रहते हैं। पर पता नहीं, क्यों न मिले हम? क्यों न मिला वो? तड़प मेरे भी मन में है। मुझे बनाने वाला कौन है? तड़प उनको भी होगी, बनाया है वो कैसा होगा? मूर्ति कलाकार खराब पत्थर हटा देता है। तो उसमें भगवान की मूर्ति प्रकट हो जाती है। उसी तरह हम सत्संग, कथा, कीर्तन, भजन से हमारी बुराइयां छंट जाती हैं, तब हमारे भीतर ईश्वर प्रकट हो जाते हैं।
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).