Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आज के पाँच हजार वर्ष पहले मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण ने धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की भूमि में दिया। इसीलिए इसे मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश भगवान श्री कृष्ण ने मोक्षदा एकादशी के दिन- दिन में 11 बजे से 1 बजे के बीच में अर्जुन को माध्यम बनाकर जगत को गीता प्रदान किये, इसीलिए मोक्षदा एकादशी के दिन श्रीमद्भगवत गीता जयंती पूरे आध्यात्मिक जगत के लोग मनाते हैं।
आज के दिन श्रीराधाकृष्ण भगवान का पूजन, श्रीमद्भगवत गीता जी का पूजन, प्राकट्य उत्सव मनाना चाहिए श्रीमद्भगवत गीता जी की आरती उतारना चाहिए और श्रीमद्भगवत गीता का पाठ भी करना चाहिए। भगवान भुवन भास्कर सूर्य नारायण देव में जो प्रकाश है वह श्रीमद्भगवत गीता का ही प्रकाश है। महाराज जनक इस संसार में रहते हुए भी, ‘ पद्म पत्र मिवाम्भसा ‘ जैसे कमल का पत्ता जल में रहते हुए भी, जल से निर्लिप्त रहता है, वैसे हि महाराज जनक संसार, घर परिवार में रहते हुए भी माया-मोह से निर्लिप्त रहे, वह गीता ज्ञान का ही प्रभाव है। स्वामी विवेकानंद जी महाराज पूरे जगत में प्रसिद्ध हुए, उस प्रसिद्धि के मूल में श्रीमद्भगवत गीता का ही ज्ञान रहा।
गीता सुगीता कर्तव्याः किमण्यैः शास्तविस्तरैः। या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनिसृतः।। सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)