Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भक्त सुदामा भगवान कृष्ण के मित्र थे, भगवान श्रीकृष्ण सुदामा जी के साथ उज्जैन संदीपनी मुनि के आश्रम पर विद्या अध्ययन किए थे। वहीं भगवान की सुदामा जी से मित्रता हुई, बाद में सुदामा सुदामा पुरी में निवास करने लगे। भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा से द्वारिकापुरी वसाया और भगवान द्वारिका के राजा बनें।
सुदामा चरित में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि कोई श्रद्धा से एक पत्र, पुष्प, फल या थोड़ा सा जल भी चढ़ा देता है उसे में ग्रहण कर लेता हूं। भगवान की आराधना उपासना में वस्तु से ज्यादा भाव का महत्व है। श्रीमद् भागवत महापुराण विराम के समय भगवान व्यास कहते हैं कि- भगवान के नाम का संकीर्तन से समस्त पापों को समाप्त करने वाला है और भगवान को किया गया प्रणाम भक्त के जीवन के दुःखों को समाप्त करने वाला है, उन भगवान हरि को बारंबार प्रणाम है।
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)