संसार में सफल होने के लिए रजोगुण है आवश्यक: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, माया के तीन गुण हैं, इन्हीं तीन गुणों से सम्पूर्ण संसार की सृष्टि होती है। मनुष्य में तीनों गुण होते हैं। सुबह के समय सतोगुण की प्रधानता रहती है, तब हम भजन पूजा-पाठ करते हैं। जलपान आदि करने के बाद रजोगुण की प्रधानता हो जाती है, तब हम किसी कामकाज में लग जाते हैं।
और पूरा दिन कार्य करके रात्रि के समय तमोगुण की प्रधानता हो जाती है और हम विश्राम कर जाते हैं। अगर ऐसा सुंदर जीवन है तो समझना चाहिए कि मानव जीवन सफल हो जायेगा। लेकिन प्रायः यह देखा जाता है कि एक गुण की प्रधानता रहती है, दो गुण दवे रहते हैं। कई लोग सतोगुणी होते हैं, कई लोग रजोगुणी होते हैं और कई लोग तमोगुणी होते हैं लेकिन महापुरुष लोग त्रिगुणातीत होते हैं।
इस संसार में सफलता प्रायः रजोगुणी लोगों को मिलती है। सत्त्वगुणों के साथ सफलता मिलना कुछ निश्चित क्षेत्र में ही सम्भव है। यह संसार त्रिगुणों से युक्त है। उसमें रजोगुणी मनुष्य स्थिर नहीं रह सकता। उसमें सतत कुछ न कुछ झंझट, झमेले, क्रियाकलाप करने की इच्छा जागृत होती है। रजोगुणी मनुष्य को आप घर में बैठा दें। वह कुछ समय में ही अलमारी खोल लेगा। हाथ में झाड़ू उठा लेगा। कुछ न कुछ सफाई करेगा।
उसे कुछ किए बिना शान्ति नहीं मिलती। उसके भीतर का रजोगुण उछल-कूद करता रहता है। संसार में सफल होने के लिए रजोगुण आवश्यक है, किन्तु वह सत्त्वगुण के अधीन हो। रजोगुण यदि सत्त्वगुण के नियंत्रण में हो तो संसार में धर्म के कार्यों में वृद्धि होती है। इसी प्रकार रजोगुण यदि तमोगुण के अधीन हो तो संसार में अधर्म की वृद्धि होती है।
सात्विक मनुष्य को झंझट प्रिय नहीं होता। वह एक समय नुकसान सहेगा किन्तु दायरा बढ़ाना टालेगा। एकान्त में बैठना, जप-ध्यान करना, सद्ग्रंथ का पठन करना आदि सतोगुणी व्यक्ति का स्वभाव है। ऐसे लोग अत्यन्त सज्जन होते हैं किन्तु उनके साथ उनका कहना मानने वालों में यदि रजोगुण गुणी लोग नहीं होंगे तो वे प्रायः सफल नहीं होते। क्योंकि यह जीवन अंततः युद्ध क्षेत्र है। यह सतत संघर्ष का विषय है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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