जिसका आकार न दिखे वो है निराकार: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, निराकार ब्रह्म साकार होकर प्रकट दिखता है। जिसका आकार न दिखे वो निराकार है, जिसका आकार देख सके वह सरकार है। जैसे अग्नि जब तक लकड़ी में छुपी है तब तक निराकार है और जब काष्ठ जलने लगा तब अग्नि साकार हो गई। उसी तरह जब परमात्मा व्यापक रूप में सबमें समाया रहता है, तब तक वो निराकार है और जब भक्तों को कृतार्थ करने के लिये, उनके व्याकुल व्यथित मन पर अपने दर्शन से शीतल अमृतधारा बरसाने के लिये जब वो समधुर रूप में प्रकट हो जाते हैं, तब वे सरकार है।
‘ पानी ,’ पानी की बना दी जाये बर्फ और बर्फ की बना दी जाये कोई आकृति, पानी निराकार है और बर्फ के रूप में जब उसने कोई आकार पाया, तब वह सरकार हो गया, पर मूल में दोनों एक हैं, पानी और बर्फ में कोई भेद नहीं, भेद की कल्पना की गई है। शीत के संयोग से निराकार जल की साकार बर्फ बनी और डाई के द्वारा बर्फ में कोई आकृति बना दी गई, बर्फ के देवता बना दिये जायें। लकड़ी का एक सांचा बनाकर जिसकी आकृति देवता जैसी हो, उसमें पानी भरकर फ्रिज में रख दिया जाये, जमने के बाद उसे निकाल ले। अब जो देव के रूप में बर्फ में प्रकट हो गये, वे साकार हैं, पानी के रूप में तो निराकार, तो निराकार और सरकार में भेद क्या रहा? उसी तरह निराकार ब्रह्म और साकार श्री कृष्ण में भेद क्या है?
हां निराकार की उपासना में थोड़ी कठिनाई है, सरकार की उपासना में सुगमता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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