धन की अपेक्षा श्रेष्ठ है धर्म: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अस्ति और प्राप्ति के पिता जरासंध का नाश काल ने किया जबकि कृष्ण को वह जरा भी आँच नहीं पहुंचा सका। संग्रह और परिग्रह की प्रवृत्ति में रचे-पचे रहकर हमेशा पाप-कर्म करने वाले मनुष्य जब तक जीवन का लक्ष्य स्थिर करते हैं, तब तक तो वृद्धावस्था आ पहुंचती है और काल का क्रूर पंजा उनको दबोच लेता है।
किन्तु सब इंद्रियों से भक्ति करके अपनी देह को द्वारिका जैसा बना लेने वाले कृष्ण जैसे महान व्यक्ति के पास जरासंध का अर्थात् –  वृद्धावस्था का जोर चल नहीं सकता। उनकी वुद्धि में ब्रह्मविद्या स्थिर होती है तथा कालयवन रूपी काल उनका भक्षण नहीं कर सकता। अतः प्रत्येक इन्द्रिय को पाप से खींचकर प्रभु-भक्ति में लगा दो।
धन की अपेक्षा धर्म श्रेष्ठ है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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