Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवान् श्रीमद्भगवत गीता में कहते हैं कि काम, क्रोध, लोभ इन सबको हे अर्जुन, तू शत्रु समझ। यही सच्चे शत्रु हैं और इन शत्रुओं के साथ लड़ने की शक्ति युवाओं में होती है। युवक अपनी युवावस्था में काम, क्रोध, लोभ के साथ लड़ने की शक्ति यदि प्राप्त नहीं करेगा, तो वृद्धावस्था में वह काम, क्रोध और लोभ के सामने हार जायेगा। क्योंकि वृद्धावस्था में उनसे लड़ने की शक्ति ही नहीं रहती, उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जायेगा, लोभी हो जायेगा।
व्यक्ति जब युवा होता है तब सामान्य होता है, मगर जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है वैसे-वैसे उनमें लोभ वृत्ति भी बढ़ती दिखाई पड़ती है, उसका कारण, अपनी सुरक्षा के बारे में आशंका का पैदा होना। हमारी पूंजी खर्च हो जायेगी तो? ऐसी वृति से लोभ वृत्ति दिखाई देती है। सभी युवकों को हनुमान जी को अपना आदर्श समझना चाहिए। श्री हनुमान जी महाराज शक्ति की जीवंत प्रतिमा है। प्रभु सेवा का संकल्प हनुमान जी में है। ऐसी शक्ति युवाओं में आनी चाहिए।
वस्तु हो या व्यक्ति जो अपनी उपयोगिता गंवा देता है उनको फेंक दिया जाता है। यह बात सदा याद रखनी चाहिए कि जो उपयोगी नहीं है वह फेंक दिया जायेगा। आप चाहे घर में हो, चाहे बाहर हो, चाहे समाज में हो। जिस जगह पर आप हैं वहां से अगर आपने अपना महत्व खो दिया, अपनी उपयोगिता गवां दी तो आपकी कोई कीमत नहीं रहेगी। आपको फेंक दिया जायेगा और आपको अपनी फरियाद करने का भी कोई अधिकार नहीं रहेगा क्योंकि आपने उपयोगिता गवा दी है।
शक्ति और समझ के बीच संवादिता जब उत्पन्न होती है तभी यौवन और अध्यात्म की बहार उमड़ पड़ती है और तब हमें स्वामी विवेकानंद मिलते हैं, आदि शंकराचार्य मिलते हैं और स्वामी रामतीर्थ मिलते हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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