भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है श्रीमद्भागवत महापुराण: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, किसी स्थान विशेष और समय विशेष को पाकर किसी भी अनुष्ठान की महिमा बढ़ जाती है। समस्त अनुष्ठानों में श्रीमद्भागवत महापुराण का अनुष्ठान सबसे अधिक महिमा वाला है। जब भागवत कथा पितृपक्ष में हो रही हो तब भागवत की महिमा अनंत गुना बढ़ जाती है, और भागवत की कथा अगर किसी धाम विशेष में और उसमें भी श्री जगन्नाथ पुरी धाम में हो रही हो तब उसकी अनंत गुना महिमा हो जाती है। इस भागवत अनुष्ठान के साथ दोनों बातें जुड़ी हैं, भागवत पितृपक्ष में और कलियुग के प्रधान धाम जगन्नाथ पुरी में होने से इसकी अनंत गुना महिमा बताई गई है।
श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। भागवत में और भगवान में रंच मात्र भी अंतर नहीं है। भगवान की शब्दमयी मूर्ति है भागवत महापुराण। शब्दों से निर्मित मूर्ति है भागवत महापुराण। भगवान की शब्दमयी मूर्ति है। मूर्ति भगवान व्यास ने बनाया है। किसी ने प्राणप्रतिष्ठा नहीं करवाया। भगवान स्वयं प्रतिष्ठित हो गये। तेनेयं वांगमयी मूर्ति। कथा के रूप में भगवान श्रोता के भीतर प्रवेश करते हैं। भागवत की कथा कितनी दिव्य है जिसे श्रवण करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
तीन पीढ़ी का मंगल होता है। वर्तमान पीढ़ी का, जो हमारे पूर्वज हुए उनका और हमारे बच्चों का भी मंगल भागवत श्रवण से होता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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