Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण भगवान श्री कृष्ण का ही स्वरूप है. भागवत में और भगवान में रंच मात्र भी अंतर नहीं है. भगवान की शब्दमयी मूर्ति भागवत महापुराण है. भागवत भगवान की शब्दमयी मूर्ति है. मूर्ति भगवान व्यास ने बनाया. किसी ने प्रतिष्ठा नहीं किया, भगवान स्वयं प्रतिष्ठित हो गये. जब हम भक्तजन श्रद्धापूर्वक श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा श्रवण करते है,
तो कथा के रूप में भगवान ही हमारे भीतर प्रवेश करते हैं. वक्ता श्रोता सामान हों तो आनंद होगा. वक्ता बहुत ऊंची बातें करें, श्रोता की वहां तक क्षमता नहीं है या वक्ता हल्की बातें करें, श्रोता तत्वदर्शी हो आनंद नहीं आयेगा. नैमिषारण्य में सूत एवं शौनकादि ऋषि, वक्ता श्रोता दोनों यहां दिव्य हैं. श्रोता वक्त दोनों तट मजबूत हैं, तो कथा गंगा के प्रवाह में कोई बाधा नहीं आयेगी. अविरल धारा बहेगी, भगवान् की कथा भी तो गंगा है.
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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