Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ।।प्रभु के साथ प्रेम।। सांसारिक सम्बन्ध तो खूब रखे, अब परमात्मा के साथ भक्ति- सम्बन्ध स्थापित करो। प्रभु के साथ स्थापित किया हुआ सम्बन्ध संसार के बंधन से मुक्त करेगा और प्रभु को बांधकर तुम्हारे पास खींच लायेगा। गांव में बुखार तो बहुतों को आता है, किन्तु अपने सम्बन्धी की तबीयत खराब होने पर ही हम उनकी कुशल क्षेम पहुंच जाते हैं।ठीक है न?
इसी तरह यदि आपने प्रभु के साथ भक्ति-सम्बन्ध स्थापित किया है तो वह तुम्हारे योग-क्षेम का निर्वाह करेंगे। किसी प्रकार के लाभ हेतु मनुष्य श्रीमन्तों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने में उत्सुक रहता है, परंतु हमेशा याद रखो कि श्रीमंत का सम्बन्ध कदाचित धन प्रदान कर दे, किंतु शांति प्रदान नहीं कर सकता। शांति तो सर्वेश्वर के साथ संबंध स्थापित करने से ही आती है। प्रभु के साथ प्रेम करने से नारायण भी प्राप्ति होंगे और लक्ष्मी जी भी घर ढूंढती हुई दौड़ी आएंगे। इसीलिए धर्मशास्त्र कहते हैं कि- प्रभु के अनेक रूपों में से किसी एक स्वरूप को इस्तेमाल कर उसके साथ भक्ति सम्बन्ध स्थापित कर लो।
यह सम्बन्ध हमेशा प्रभु स्मरण कराएगा और तन्मयता बढ़ायेगा जगत को हम भूल जाएंगे और धन्य हो जाएंगे। कोई कुछ नहीं है सब तो शुद्ध चैतन्यमय परमात्मा काम है। मैं कुछ नहीं हूं, मैं तो शुद्ध चैतन्यमय परमात्मा का अंश हूं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला अजमेर (राजस्थान).