Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बाल और प्राण- मक्खन में फंसे हुए बाल को यदि बाहर निकालना हो तो बिना किसी तकलीफ के खींचकर बाहर निकाला जा सकता है। परन्तु यही बाल अगर सूखे हुए गोबर या मिट्टी के ढेले में फंस गया हो तो किसी भी तरह बाहर नहीं निकलता।
इसके लिए तो उसे तोड़कर ही बाहर निकाल जा सकता है। बस मनुष्य का जीवन भी ऐसा ही है। संत के शरीर में रहने वाला जीव मक्खन के गोले में फंसे हुए बाल जैसा है। जीवन का कर्तव्य पूरा होने के बाद शरीर में से प्राण निकलने में जरा भी तकलीफ नहीं पड़ती।
किंतु सांसारिक व्यक्ति के शरीर में रहने वाला जीव गोबर-मिट्टी के सूखे हुए ढेले में फंसे हुए बाल के समान है। मृत्यु के लिए किसी भी प्रकार की तैयारी न होने पर जब मृत्यु के समय शरीर में से प्राण निकलते हैं, तब बड़ी तकलीफ होती है। जमी हुई वासनाएँ किसी भी प्रकार उसे छोड़ती नहीं और इसलिए अधिकतर जीव मृत्यु के बाद वासना में ही रह जाते हैं।
ध्यान का सच्चा आनंद प्रातःकाल ही प्राप्त किया है जा सकता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).