Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दोष-दृष्टि- कई लोगों को संतों में दोष दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोग तो भगवान में भी बुराइयां ढूंढने की नजर रखते हैं। मनुष्य के मन में यदि एक बार दोष देखने की आदत पड़ जाय तो फिर हमेशा वह दोष ही देखता रहता है।
आप भी यदि दूसरों की कमजोरियों को ही देखने की आदत डालोगे तो हर एक मनुष्य में आपको कुछ न कुछ दोष तो दिखाई देगा ही।इसका कारण यह है कि प्रत्येक मनुष्य में कुछ न कुछ बुराई तो होती ही है। मनुष्य में यदि बुराई न हो तो वह इस मनुष्य शरीर में रह ही नहीं सकता।
मन में यदि मैल न हो तो मन भी समाप्त हो जाय। इसीलिए भाई दूसरों के दोष देखने की आदत छोड़ो। दृष्टि को हमेशा गुणग्रही बनाओ। अन्य के दोष देखने की आदत हमारी आंख, मन और वाणी को दूषित करते हैं। दूसरे के पाप का विचार हमारे मन को पापी बनाता है।
धन का दुरुपयोग लक्ष्मी का अपमान है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान).