Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पाप से बहुत सावधान रहना चाहिए। हमें पता भी न चले, इस प्रकार से पाप मुलायम सर्प की तरह हमारी आँख, जीभ, मन आदि इन्द्रियों के ऊपर जबरदस्त दबाव डालते जाते हैं और आगे बढ़ते जाते हैं। इन पापों से बचने के लिए हमें अपने मन, जीभ और आंख पर काबू रखना चाहिए और अनजान में अपकर्म होने पर उनको प्रकट करके जला देना चाहिए।
याद रखो, छिपाए पाप की सजा बहुत भयानक होती है। चक्रवृद्धि ब्याज की तरह उसका बोझ बढ़ता ही जाता है और अन्ततः मरने के बाद दारूण दुःख भोगना पड़ता है। अतः पाप प्रकट होकर जल जाए, यह बहुत जरूरी है। पापों को प्रकट करते रहोगे, तभी वे कम होंगे। पैसा कमाना सरल है, पर उसका सदुपयोग करना मुश्किल है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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