दुर्वृत्ति की समाप्ति के लिए करो कथा का श्रवण: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव-जीवन की उपयोगिता, उन्नति, सफलता और सार्थकता श्रीमद्भागवत में दिखाई गई है. अन्य ग्रन्थों में ईश्वर-दर्शन के लिए त्याग के बड़े-बड़े साधन दिखाए गए हैं, परंतु व्यास जी ने विचार किया कि कलियुग के मानव अर्थ-प्रधान जीवन वाले होंगे. उन्हें त्याग रुचेगा नहीं, अतः प्रत्येक वस्तु का समर्पण ईश्वर के चरणों में ये सरल मार्ग उन्होंने भागवत द्वारा बताया.

उन्होंने कहा, तुम यदि वस्तुयें त्याग नहीं सको तो भी कोई बात नहीं. केवल सभी चीजें परमात्मा के चरणों में समर्पित कर दो और बाद में भगवान के नाम पर उनका उपयोग करो. व्यास जी ने सोचा कि चाहे मनुष्य बन में जाय, लेकिन उसकी ग्यारह इंद्रियां तो उसके साथ ही जाएँगी. तो फिर वह त्याग किसका करेगा? इसलिए उन्होंने ‘तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः’ का मार्ग सूचित किया. सब भगवान की प्रसन्नता के लिए काम में लो.

कितना अद्भुत मार्गदर्शन है. कथा का श्रवण पुण्य की प्राप्ति के लिए नहीं, दुर्वृत्ति की समाप्ति के लिए करो. सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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