अत्यन्त श्रेष्ठ विभूतियों का जन्म होने के लिए अत्युत्तम गर्भ की होती है आवश्यकता: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा,  सत्पुरुषों के जन्म का नियम- भगवान ने धरती पर अवतरित होने का निश्चय तो किया किन्तु अब भगवान के समक्ष यह प्रश्न है कि इस भूमण्डल पर जन्म कहां लें? किसी भी परिवार में भगवान का आना सम्भव नहीं है। भगवान का अवतार अथवा किसी महाविभूति का जन्म किसी स्थान पर होना हो तो उसके लिए उस वंश में कुछ सद्गुणों का अनुकरण होना आवश्यक है।
भगवान ने किसी भी परिवार में संयोग से जन्म लिया हो, ऐसा कभी घटित नहीं होता, यह सिद्धांत ध्यान में रखें। साधारणतया नब्बे प्रतिशत लोगों का जन्म सामान्य वश में होता है। किंतु पांच प्रतिशत अत्यन्त पापी और पांच प्रतिशत अत्यन्त श्रेष्ठ सत्पुरुषों का जन्म विशेष गर्भ से ही होता है। सामान्यतः सोमाजी, गोमा जी तो कहीं भी जन्म ले लेते हैं। किंतु एकाध खरदूषण अथवा किसी त्रिशिरा और सुबाहु को जन्म लेना हो तो अत्यंत पापी वंश की आवश्यकता होती है। उसके बिना उनका जन्म ही नहीं होता।
श्रीरामचरितमानस में कथा आती है कि जय और विजय को सनकादिक कुमारों ने श्राप दिया। उसके अनुसार उनका जन्म असुर योनि में होना है किन्तु उसके लिए दूषित गर्भ आवश्यक है। वह दूषित गर्भ कहां मिला? तो जब दिति ने सायंकाल के समय महर्षि कश्यप को गर्भाधान के लिए विवश किया। सायंकाल की पवित्र बेला में इस प्रकार का कर्म न करें, ऐसा निर्देश जब कश्यप मुनि दे रहे थे, किन्तु दिति ने अनसुना कर दिया। तब कश्यप ऋषि ने कहा- इसका भीषण परिणाम होगा।
तुम्हारे गर्भ से अत्यन्त पापी पुत्र का जन्म होगा। इसके पश्चात हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु का जन्म हुआ। जिस प्रकार अत्यन्त घोर पापियों की उत्पत्ति के लिए उसी श्रेणी के गर्भ की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार अत्यन्त श्रेष्ठ विभूतियों का जन्म होने के लिए भी अत्युत्तम गर्भ की आवश्यकता होती है।कई लोग प्रश्न करते हैं कि- भगवान ने गीता में कहा है जब अधर्म बढ़ेगा तो मैं फिर आऊंगा। आज इतना अन्याय,अधर्म हो रहा है फिर भगवान क्यों नहीं आते? भगवान गीता में दिए गये वचन को भूल गए। महात्मा लोग कहते हैं भगवान तो अवतार लेने के लिए तैयार हैं।
कोई दशरथ-कौशल्या, वसुदेव-देवकी जैसा दाम्पत्य जीवन खड़ा हो, जो भगवान को अपने दाम्पत्य जीवन में उतार सके। बब्लू-डब्लू के यहां तो भगवान अवतार लेने वाले नहीं हैं। उनके यहां तो जब आयेंगे चिंटू-पिंटू ही आयेंगे। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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