जीते जी बैकुंठ देती है भागवत की कथा: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthanपरम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण के माहात्म्य में चार मंत्रों में अमृत की चर्चा की गई है। जिस अमृत के लिए देवासुर संग्राम हुआ, बहुत वीरों का संहार हो गया, कितना भयानक युद्ध हुआ, कितने भगवान के अवतार हुए? कच्क्षप अवतार, अजित अवतार, धनवंतरी अवतार, मोहिनी अवतार,देव दानव झमेले को टालने के लिए- वामन अवतार हुआ। उस अमृत को भागवत के सामने श्री शुकदेव जी ने तुच्छ समझा।
(क) अमृत मरने के बाद बैकुंठ देता है, भागवत की कथा जीते जी बैकुंठ देती है। (ख) अमृत पीने वाले स्वर्ग में रहते हैं, भागवत कथा रस का पान करने वाले भगवान श्री राधा-कृष्ण की रासलीला में रहते हैं। (ग) अमृत पीने वाले रावण के भय से भागते रहे हैं, अमृत पी लिया मारेंगे तो नहीं, हाथ पैर टूटा तो हाथ पैर के बिना रहना पड़ेगा, कथा का-पान करने वाले काग भूसुंडी सत्ताइस कल्पों से कथा कह-सुन रहे हैं, कोई भय नहीं। (घ) कथा पान से पुण्य बढ़ता है, अमृत से घटता है।
देवताओं ने कहा अमृत पी लो अप्सराओं के साथ नृत्य करना, श्री शुकदेव जी ने कहा- कथा रूपी अमृत पीने से कृष्ण के साथ नृत्य,जीवन धन्य होगा। अमृत का दूसरा नाम झगड़ा है।अमृत निकला और झगड़ा शुरु हो गया। श्रीमद्भागवत की कथा, भगवान के नाम का कीर्तन, भगवान की भक्ति जीवन में शांति प्रदान करने वाली है। मानव जीवन का परम लक्ष्य शांति की प्राप्ति है।
सरिता जल जलनिधि महुं जाई।होय सुखी जिमि जीव हरि पाई।। सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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