Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सभी का पालन, पोषण, संरक्षण, संवर्धन भगवान की कृपा से ही हो रहा है। मनुष्य ही नहीं जीव-मात्र का पोषण भगवान की कृपा से ही होता है। श्रीमद्भागवत महापुराण का षष्टम स्कंध पोषण लीला है।
अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।
दास मलूका यों कहे सबके दाता राम।।
राम झरोखे बैठके सबका मुजरा लेय।
जैसी जिसकी चकरी वैसा वाको देय।।
नाम विशंभर विश्व जिआवे।
सांझ विहान रिजक पहुंचावे ।।
भगवान के अनुग्रह से ही हम सब का पोषण हो रहा है, इसका क्या प्रमाण है? भागवत में इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं कि- रक्त हमारे शरीर में किसके संकल्प से चल रहा है? आप कहेंगे वायु से चल रहा है। वायु किसने बनाई। अहं वैश्वानरो भूत्वा, अग्नि ठंडी हो जाती है,लोग कहते हैं उतार दो, अब शांत हो गये।
पंच प्राण,पंच उपप्राण इंद्रियों के छिद्र, रोम छिद्र, फिर भी प्राण वायु नहीं निकली। हम लोग लंबे चौड़े जीवन जी रहे हैं, यह भगवान की प्रत्यक्ष संकल्प एवं कृपा है।
जल,वायु,अन्न सब कुछ भगवान की कृपा से प्राप्त होता है। हम धरती पर आश्रित हैं, धरती भगवान के संकल्प से स्थित है। प्रभु की कृपा से स्थिर है।
धरती हिल जाय तो सब कुछ समाप्त हो जायगा। लेकिन भगवान रक्षा करते हैं। सबका पोषण भगवान की कृपा से हो रहा है। भगवान की कृपा के बिना एक क्षण भी जीवित नहीं रहा जा सकता। दो तरह के लोग होते हैं, एक कृतज्ञ, दूसरे कृतघ्न। जो भगवान का नाम जपते हैं, जय जयकार करते हैं, वे कृतज्ञ है। धर्म और ईश्वर की महिमा है, जो हमारी मानवता है। जो इससे विमुख हैं उन्हें कृतघ्न कहते हैं,
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.-गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)