Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विपदो नैव विपदः सम्पदो नैव सम्पदः।
विपद विस्मरणं विष्णो सम्पद नारायणस्मृतिः।। पूजा-पाठ, तीर्थयात्रा, सत्संग-कीर्तन से आनंद क्यों आता है। कथा-कीर्तन में जगत का विस्मरण होता है। जगत के विस्मरण में आनंद है और ईश्वर के स्मरण में आनंद है। कभी लोग भांग पीकर जगत का विस्मरण करते हैं। अनेकों ब्यसन से जगत का विस्मरण करते हैं। लेकिन वह गलत है। सही ढंग है कर्तव्य पालन और ईश्वर के स्मरण से जगत अर्थात् रागद्वेषादि सांसार की बुराइयों का विस्मरण करना है।
सच्चिदानंद धन परमात्मा है। सत्+चित्+आनंद= सच्चिदानंद-भगवान्। सत् कहता है ईश्वर को कभी अपने से दूर मत समझो। चित् कहता है तुम्हारे भीतर बैठा है और आनंद कहता है, जरा कथा कीर्तन सुमिरण कर लो, ईश्वर तुम्हारे भीतर ही प्रकट हो जायेगा। विशवोत्पत्यादि हेतवे÷ हम सबके कारण परमात्मा ही हैं। इतना ही समझना है, हम लोगों को पैदा करने वाला ईश्वर है।
समुद्रो हि तरंगा नत्समुद्रो तरंगा।
सत्य इव भेदागमे,नाथ तवाऽहं नमामि किं नस्त्वं।।
समुद्र के कारण तरंग है, तरंग के कारण समुद्र है ऐसा नहीं है। हमारे कारण भगवान नहीं, भगवान के कारण हम सब हैं। केशव कहि न जाय का कहिये। शून्य भीति पर चित्र रंग नहीं, विनु तनु लिखा चितेरे।।
दीवाल पर चित्र बनाने वाले लाखों करोड़ों लोग मिल जायेंगे। लेकिन बिना दीवार के सूर्य, चाँद, तारे, नक्षत्र बनाना भगवान के अलावा किसी से संभव नहीं है।
कोउ कह सत्य असत्य कह कोऊ, जुगल प्रबल कोऊ माने।
तुम्हारी कृपा तुम्हहिं रघुनंदन, सो तुमहिं पहचाने।।
कोई कहता है, परमात्मा सत्य हैं। कोई कहता है, असत्य हैं। कोई कहता है थोड़ा सत्य हैं थोड़ा असत्य हैं। जिस पर भगवान की कृपा हो वही ठीक-ठीक जान सकता है। माता पिता कहें, बच्चा मैंने बनाया, क्या उसकी एक उंगली कट जाय तो वो बना सकते हैं? बनाने वाला कोई और है। आजकल लोग कहते हैं संसार अपने आप बन गया, ऐसा नहीं है अपने आप कुछ भी नहीं बनता। कुछ भी है तो उसे बनाने वाला कोई आवश्यक है, वहीं परमात्मा है।
सभी हरि भक्तों को तीर्थगुरु पुष्कर आश्रम एवं साक्षात् गोलोकधाम गोवर्धन आश्रम के साधु-संतों की तरफ से शुभ मंगल कामना। श्रीदिव्य घनश्याम धाम श्रीगोवर्धन धाम कॉलोनी बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्रीदिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट, ग्रा.पो.गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).