Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, केवल भोजन की बातें करने से तृप्ति नहीं होती। तृप्ति तो भोजन करने से मिलती है। इसी तरह ज्ञान की केवल बातें करने से शांति उपलब्ध नहीं होती। शांति तो ज्ञान को जीवन में पचाने से मिलती है।
ज्ञान को जीवन में पचाने का मतलब है – ईश्वर को आत्मस्वरूप देखना। ज्ञान को जीवन में पचाने का अर्थ है, जगत के जीवमात्र में ईश्वर विराजमान है, ऐसा अनुभव करके सभी की स्नेह भाव से सेवा करना। ईश्वर केवल वाणी का विषय नहीं है। ईश्वर तो जीवन में अनुभव करने और साक्षात्कार करने का विषय है।
जिसे ईश्वर याद करता है, उसका जीवन सफल बनता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).