पाठ और मंत्र को सिद्ध करने का पर्व है दीपावली: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, दीपावली- राजा बलि ने सबको अपने अधीन कर लिया था। भगवान विष्णु ने अदिति माता के यहां वामन रूप में अवतार लेकर राजा बलि के यज्ञ में पधारे, बहुत आग्रह पर तीन पग भूमि का दान मांगा। राजा बलि ने यह जानते हुए कि यह साक्षात भगवान विष्णु है फिर भी तीन पग भूमि का दान किया। भगवान विष्णु ने विराट रूप धारण कर लिया और राजा बलि का सब कुछ दो पग में ही नाप लिया, राजा बलि ने अपना सर्वसमर्पण किया।
जो कुछ उनके पास था सब भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया। और राजा बलि ने अपना स्वसमर्पण भी किया। अपने आप को भी भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया।राजा बलि की उदारता, भगवान विष्णु की करुणा, और देवताओं को पुनः अपनी प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। इस अवसर पर सभी ने दीपावली उत्सव मनाया। पुराणों  के अनुसार समुद्र मंथन कार्तिकमास में हुआ था। कार्तिकमास की अमावस्या तिथि को सुबह सुरभि गौ माता का प्राकट्य हुआ और सायंकाल माता महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। इस सम्बन्ध से गौ माता माता लक्ष्मी माता की बड़ी बहन हुईं।
तबसे दीपावली के दिन सुबह के समय गौ माता की पूजा और सायंकाल माता महालक्ष्मी की पूजा करते हैं। ऐसा करने से अखण्ड सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है। महर्षि दुर्वासा के श्राप से पूरा संसार शोभा रहित हो गया था। समुद्र मंथन के समय माता लक्ष्मी के प्राकट्य से पूरा संसार शोभा संपन्न हुआ। तब सभी ने माता लक्ष्मी के प्राकट्य की खुशी में दीपोत्सव मनाया। दीपावली के दिन जहां हम माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, वही दीपक जलाकर उत्सव भी मनाते हैं।
श्रीमद्देवीभागवत महापुराण के अनुसार आश्विनमास नवरात्रि के अवसर पर भगवान श्री राम ने मां भगवती दुर्गा की आराधना की, अष्टमी तिथि को माता ने दर्शन दिया और आशीर्वाद दिया। नवमी तिथि का पूजन, हवन, कन्या पूजन करके भगवान श्रीराम ने दशहरा को रावण का उद्धार किया।आसुरी संस्कृत का अन्त हुआ। भगवान अयोध्या पधारे। इस खुशी सभी ने बहुत से दीपक जलाकर भगवान के विजय की खुशी मनाया। दीपावली के एक दिन पहले भगवान श्रीकृष्ण ने भौमासुर (नरकासुर)का उद्धार किया।
केवल संसार को ही नहीं देवलोक को भी उसके संकट से बचाया। नरक चतुर्दशी के दूसरे दिन अमावस्या तिथि को दीपावली का उत्सव मनाया। बहुत से दीप जलाकर सभी लोकों में खुशियां मनाई गयी।दीपावली पाठ और मंत्र को सिद्ध करने का पर्व है। इसलिए जो हम दैनिक पूजा पाठ करते हैं, उस पूजा पाठ को भी लक्ष्मी पूजन के बाद दुबारा कर लेना चाहिए। इससे पाठ और मंत्र सिद्ध हो जाता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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