Eid 2025: इस्लाम धर्म में रमजान Ramadan के महीने को सबसे पाक (पवित्र) महीना माना जाता है. रमजान का महीना अब समाप्त होने को है. दुनिया भर में कुछ देशों में ईद-उल-फितर (Eid 2025) 31 मार्च और कुछ देशों में 01 अप्रैल को मनाई जाएगी. इसको लेकर मुस्लिम समाज के लोग अभी से तैयारियों में लग गए हैं. ईद की एक खास बात है कि इस दिन सेवई बनाने और खाने का विशेष महत्व है. सेवई के बिना ईद का त्योहार अधूरा माना जाता है. आइए आज आपको इस ऑर्टिकल में बताते हैं कि ईद के दिन सेवई खाने की परंपरा कहां से शुरू हुई…?
Eid का है विशेष महत्व
इस्लाम धर्म में ईद उल फितर सबसे महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है. ईद उल फितर रमजान के अंत का प्रतीक है. इस खास त्योहार पर सेवई बनाने और खाने का काफी महत्व है. दरअसल, सेवई एक प्रकार का मीठा पकवान है. जिसको दूध की मदद से बनाया जाता है. इस्लाम धर्म में सेवई का खास महत्व है. ईद पर बनने वाली सेवई को लोग घरों, परिवारों, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ बांटते हैं. बताया जाता है कि परंपरा ईद उल फितर से ही शुरू हुई थी. सेवई को मुस्लिम में शीर खोरमा कहा जाता है.
आपको बता दें कि फारसी भाषा में शीर का मतलब दूध होता और खुरमा का मतलब खजूर से होता है. सेवई एक ऐसी रेसिपी है, जो देश के हर मुस्लिम घर में ईद-उल-फितर के दिन तैयार की जाती है. ईद के दिन लोग सेवई खाते हैं और एक दूसरे से गले मिलकर बधाई देते हैं.
कैसे शुरू हुई Eid पर सेवई खाने की परंपरा
उल्लेखनीय है कि इस्लाम धर्म में सेवई को लेकर कई मान्यताएं हैं. परंपरा के अनुसार जंग-ए बदर में मुसलमानों ने पहली जीत हासिल की थी. ये जंग 2 हिजरी 17 रमजान के दिन हुई थी. ये इस्लाम धर्म की पहली जंग थी. कहा जाता है कि इस जंग में एक ओर 313 निहत्थे मुसलमान थे, तो दूसरी तरफ तलवारों और हथियारों से लैस 1000 से ज्यादा दुश्मन की फौज थी. इस जंग में पैगंबर हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की अगुआई में मुसलमान काफी बहादुरी से लड़े और जीत हासिल की थी. इसी जीत की खुशी में सेवई से बनी मिठाई बांटी गई और एक दूसरे को मिलकर मुबारकबाद दी गई. इसी दिन से ईद के दिन सेवई खाने की परंपरा की शुरुआत की गई.