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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शान्ति कैसे? हम बड़ी-बड़ी कोठी बना लेते हैं, अच्छे-अच्छे फर्नीचर बना लेते हैं, सोफासेट होता है, टी-सेट होता है, सब कुछ सेट होता है लेकिन व्यक्ति खुद अपसेट होता है। लोगों के पास शांति नहीं है तब यह पूछने का मन होता है कि वास्तव में क्या तुम्हें शांति चाहिए?
वास्तव में शांति की भूख है या बातें ही बना रहे हो की शांति चाहिए? यदि व्यक्ति को शांति चाहिए तो उसको शांत होने से कोई रोक नहीं सकता क्योंकि शांति के लिये कुछ करना नहीं पड़ता, सिर्फ जो कर रहे हो बन्द कर दो। बस शांति ही शांति। झूले पर झूल रहे हो और पैर से ठेका लगा रहे हो तो वह ठेका लगाना बन्द कर दो, झूला अपने आप शांत हो जायेगा क्योंकि हम ठेका लगा रहे हैं इसलिए झूला चल रहा है।
इस प्रकार शांति के लिए कुछ भी करना नहीं पड़ता। जो कर रहे हो उसे बन्द करना होगा, क्योंकि स्वरूप से तो व्यक्ति शांत ही है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).