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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चाहे जितन विपत्ती के पहाड़ टूट पड़े, चाहे जितनी प्रतिकूलता की आंधी आए, पर प्रभु का दास तो उदास होता नहीं। वह यदि उदास हो तो उसे प्रभु का दास कैसे कहा जा सकता है। प्रभु का दास तो प्रभु सानिध्य के सात्विक उल्लास में ही आनंदमग्न रहता है। सुख में वह अभियान से इतराता नहीं है और दुःख में हताशा से कुम्हलाता नहीं है। उसके हृदय में तो यही भावना रहती है कि मेरा प्रभु जो करता होगा, मेरी भलाई के लिए ही करता होगा।
प्रभु की गोद में बैठकर अब मैं चिंता किस बात की करूं?जिसके हृदय में ऐसी ऊंची भावना हो, वही प्रभु का दास गिना जाता है और ऐसा वैष्णव जन ही मन को हमेशा शान्त रख सकता है। आज से मैं नया पाप नहीं करूंगा, ऐसा संकल्प करना चाहिए और भगवान से प्रार्थना भी करना चाहिए कि हे परमात्मा! आप हमें शक्ति दें, भक्ति प्रदान करें,अपने से बुरा कुछ न हो, शुभ कार्य जीवन में होते रहे। भगवान का भजन होता रहे, तो कल्याण में कोई संदेह नहीं है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).