Reporter
The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
पुष्कर/राजस्थान: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आपको सुखी होना है? तो सबमें परमात्मा के दर्शन करके दूसरों को सुख और संतोष दो. दूसरों को संतोष देना ही प्रभु की पूजा है. कितने ही लोगों को मूर्ति में भगवान दिखाई देते हैं, लेकिन मानव में दिखाई नहीं देते, इससे अशांति बढ़ती है. दो पग से चलने वालों में मानव को भगवान ने अपनी विभूति बताया है.
चार पग से चलने वालों में गौमाता को भगवान ने अपनी विभूति बताया है.यदि मानव, मानव में भगवान के दर्शन करके एक दूसरे को सुखी करने का प्रयत्न करे, तो जगत के बहुत से झगड़े कम हो जायें और जगत को शांति मिले. प्रत्येक मानव में प्रभु बैठे हैं। प्यासे को पानी, भूखे को अन्न और रोगी को दवा देकर सेवा करने वाला प्रभु की पूजा ही कर रहा है. प्रभु की सेवा-पूजा सब समय करने की है.
संत पुरुष कहते हैं- प्रभु की पूजा बिना किये, एक पल भी नहीं जाना चाहिए और यह तभी होगा, जब आप सबमें भगवान का दर्शन करेंगे. विश्ववंद्य कविकुल दिवाकर पूज्य गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी महाराज ने श्री रामचरितमानस में सबकी वंदना करते हुए लिखा है-
आकर चारि लाख चौरासी। जाति जीव जल थल नभबासी।।
सीय राममय सब जग जानी। करउँ प्रनाम जोरि जुग पानी।।
सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना. श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).