Reporter
The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, इस संसार की रचना करने के बाद खुद प्रभु को चिंता हुई कि इस संसार को सुखी कौन करेगा? प्रभु ने बड़े-बड़े देव तथा ऋषियों से पूँछा कि क्या आप दुनियाँ को सुखी रखेंगे? तब देव और ऋषियों ने बिल्कुल न कह दियाl और कहा, आपकी दुनियां का जो होना हो, हो, हम तो अपने सुख के लिए ही प्रयत्न करेंगे। यह कहकर देवता स्वर्ग के सुख में मगन हो गये और ऋषिगण ध्यान में बैठ गये।
प्रभु को लगा कि ये क्या बात है? जिस देश में, जिस समाज में जन्म हुआ है, उसके लिए ये जरा भी विचार करने को तैयार नहीं हैं! ये तो स्वार्थी हैं। प्रभु तो चिन्ता में पड़ गये कि मेरे बनाये हुये संसार को सुखी कौन करेगा? बहुत चिन्तन के बाद उन्होंने मानव का सृजन किया और उन्हें परम शान्ति मिली। उन्हें विश्वास हुआ कि मेरा बनाया हुआ यह मानव मेरे बनाये हुये संसार को सचमुच सुखी कर सकेगा।
इस तरह प्रभु ने मानव का सृजन उनके द्वारा बनाये हुये संसार को सुखी करने के लिये ही किया है। जो मानव संसार को सुखी करने का प्रयत्न करेगा, वह स्वयं भी सुखी हो जायेगा। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).