सम्पूर्ण प्रकृति की सेवा करने के लिए प्रभु ने हमें दिया है यह शरीर: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यह शरीर जीवात्मा का घर है। यह प्रभु का दिया हुआ है, तो भी इसके मालिक बनने का बहुत लोग दावा करते हैं। मां कहती है, शरीर को मैंने नौ महीने पेट में रख़ा है, इसलिए यह मेरा बेटा है। पिता कहता है, मेरे बिना यह शरीर उत्पन्न हो नहीं सकता था, इसलिए इस पर मेरा अधिकार है।
पत्नी कहती है, मैं अपने माता-पिता को छोड़कर आई हूं, इसलिए पति के शरीर पर अब माता-पिता का नहीं बल्कि मेरा हक है और शरीर के पोषण के लिए रोजी-रोटी देने वाला अन्नदाता कहता है कि यह शरीर मेरा दिया हुआ खाकर ही पलता है, इसलिए उस पर केवल मेरा ही हक है। इस तरह शरीर पर बहुत लोग अपना मलिकी हक बताते हैं, परन्तु उन सब का दावा गलत है।
शरीर देने वाले तो एकमात्र ईश्वर हैं। प्रभु ने ही कृपा करके यह मानव-शरीर दिया है, इसलिए हम सब जीवन और मृत्यु को मंगलमय बनाने के लिए विचार कर सकते हैं। प्रभु ने यह समझकर मानव-शरीर दिया है कि जगत में जाकर मिले हुए इस शरीर से हम प्रभु के बालकों की अर्थात जीवमात्र और सम्पूर्ण प्रकृति की अच्छी तरह से सेवा करें, इस तरह भगवान का काम करें।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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