Reporter
The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, परमात्मा दुर्लभ नहीं है, पर परमात्मा की प्राप्ति करने वाला आदमी दुर्लभ है। भगवान् मिलने में देर नहीं लगाते हैं। देर केवल अपनी चाहत में है। परमात्मा हमसे दूर नहीं हैं, परमात्मा की प्राप्ति जितना आसान है उतना आसान और कुछ भी नहीं है। क्योंकि परमात्मा चाहने मात्र से प्राप्त हो जाते हैं। नारद भक्ति सूत्र में देवर्षि नारद जी कहते हैं- ‘लौल्यमेव तस्य मूल्यं’ भगवान को पाने का लौल्य ही पर्याप्त साधन है भगवत प्राप्ति के लिए।
भूख लगने पर जितना भोजन की इच्छा होती है, प्यास लगने पर जितना पानी की इच्छा होती है, उसका दशांश भी ईश्वर प्राप्ति की इच्छा जाग जाय तो परमात्मा की प्राप्ति हो जाय। लेकिन रजोगुणी तमोगुण चित्त में सुंदर भोजन, आवास, बाल-बच्चे सब कुछ प्राप्त हो ऐसी इच्छा होती है। परमात्मा को प्राप्त करने की इच्छा ही उत्पन्न नहीं होती। भाग्य नहीं, भाव से मिलते हैं परमात्मा। आप यह मान लें कि हम भगवान् के हैं और भगवान हमारे हैं।
परमात्मा के साथ हमारा अलगाव कभी हुआ नहीं है जबकि संसार से शरीर अलग नहीं हो सकता और हम स्वयं परमात्मा से अलग नहीं हो सकते। सर्व समर्थ परमात्मा भी जीव का त्याग करने में असमर्थ हैं। सच्ची लालसा वाले व्यक्ति को सच्चा सत्संग अवश्य मिलता है। इसमें भाग्य का काम है ही नहीं। जैसे भगवान् की प्राप्ति केवल चाहत से होती है, प्रारब्ध से नहीं। गंगा का सम्बन्ध तीनों देवताओं के साथ है। भगवान् विष्णु के चरण से निकलती हैं, विष्णुपदी हैं।
सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के कमण्डलु से निकली है, भगवान् के चरण धोये हैं, उसी चरणोदक को गंगा कहते हैं। इसी गंगा को शंकर जी ने अपने मस्तक पर धारण किया तो शंकरजी से भी सम्बन्धित है। गंगा स्नान करने वाले को श्रीगंगाजी ब्रह्मा, विष्णु, और महेश का रूप बना देती हैं। भगवान क्रिया साध्य नहीं हैं कृपा साध्य हैं इसलिए उन्हीं के शरण में जाओ, क्योंकि उन्हीं की कृपा से उनको पाओ और कोई उपाय नहीं है। ठाकुर के चरणों में जाने से ही सुख है। ठाकुर के चरण पकड़ने से ही मुक्ति प्राप्त होती है।
जीव परमगति को प्राप्त करता है और उसी में जीवन की यात्रा का साफल्य है।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).