सत्कर्म के द्वारा सुख प्राप्त करने से ही पूजनीय हैं देवता: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जिसका दृष्टि पर अंकुश नहीं है उसका मन पर भी अंकुश नहीं है। व्यवहार पर अंकुश नहीं है। उसका अन्तःकरण मालिन हो जायेगा। जिसकी आंख बिगड़ती है, उसकी मन, व्यवहार जीवन बिगड़ा है। मरण बिगड़ा है। मंगलमय जीवन बनाना है तो सर्वत्र मंगलमय भगवान के दर्शन करो। मंगलमय दृष्टि रखो, मन मंगलमय बनाओ, व्यवहार मंगलमय बनाओ।
जब व्यक्ति के हृदय में भक्ति भाव जागृत हो जाता है तो वह पाप से दूर हो जाता है और प्रेम पूर्वक प्रभु के भजन में लग जाता है। सेवा में लग जाता है। सत्कार्यों में लग जाता है। राजनीति के चार चरण हैं- साम, दाम, दंड, भेद। लेकिन भगवान श्रीराम ने कहा कि- मेरी राजनीति दो ही चरणों पर खड़ी है, चार चरणों पर नहीं क्योंकि जब तक लोगों में पशुता रहेगी तब तक राजनीति भी पशु की तरह चार पग वाली होगी, लेकिन लोगों में जब मानवता निखरेगी तो राजनीति भी दो पगों वाली हो जायेगी, तब वह भी मानवता वाली राजनीति होगी- दो पग वाली राजनीति होगी।
श्रीराम की राजनीति दो ही चरणों पर खड़ी है बड़ी अद्भुत बात है यह, इसलिए रामराज्य एक आदर्श शासन व्यवस्था है।समाज में देव और दानव दोनों प्रकार की वृत्तियों वाले लोग हैं, सुख तो सभी को चाहिए- कोठी, मकान, मोटरकार, बढ़िया कपड़े, बढ़िया भोजन सबको चाहिए लेकिन नीति से कमाने वाले देव हैं और अनीति से कमाने वाले दानव हैं।
सुख की लालसा तो स्वाभाविक है, लेकिन पुण्य के द्वारा, सत्कर्म के द्वारा सुख प्राप्त करने से ही देवता पूजनीय हैं और गलत ढंग से सुख प्राप्ति की लालसा के कारण दानव निंदनीय हैं। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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