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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बिरह में पागल बनें व्रज के भक्तों को प्रभु ने आश्वासन दिया कि जितना आनंद मिलन में है, उतना ही बल्कि उससे भी ज्यादा आनंद विरह में है। भगवान के लिए आंसू बहाना आ जाए तो जीवन में आनंद ही आनंद है। रासलीला में संसार सुख या मोह की बात नहीं है। उसमें तो जीव और शिव की विशुद्ध भक्तिपूर्ण-लीला है।
प्रेम और मोह – ये दोनों अलग-अलग विषय है । शरीर में कोई रोग हो जाय तो मोह जाता रहता है, जबकि प्रेम तो क्षण-क्षण बढता जाता है।मोह में अत्यंत उतावलापन होता है। प्रेम में अत्यंत धैर्य होता है। उतावलापन उल्कापात – झंझावात पैदा करता है। धैर्य नवसर्जन – नवनिर्माण की प्रतिष्ठा करता है।
तुम्हारे आंगन में आया हुआ भिखारी भी प्रभु का स्वरूप है। उसे जूठा भोजन नहीं देना चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश)श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).