Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, यौवन में धीरे-धीरे संयम बढ़ाते हुए भक्ति करोगे तो इसी जीवन में प्रभु प्राप्त हो जाएंगे। परंतु जिसका यौवन व्यसन और विषयों के पीछे ही भटक रहा है, उसे इस जीवन में तो प्रभु की प्राप्ति हो ही नहीं सकती। हां यदि यह जीव वृद्धावस्था में भक्ति प्रारंभ करे तो उसका अगला जीवन जरूर सुधर सकता है, परंतु वर्तमान जीवन में तो प्रभु दर्शन की सार्थकता प्राप्त होती ही नहीं।
अतः वर्तमान जीवन को सुधारने और सार्थक बनाने का एकमात्र उपाय युवावस्था में विवेकी बनकर संयम वढ़ाते जाना है। तुम जो कुछ काम में लेते हो या जिसके द्वारा जीवित रहते हो, वह सब परमात्मा का है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा,
(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).