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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवत्भक्ति- भगवत्प्रेम जब बढ़ता है, तब जगत भी भुला जाता है, ‘ अहम् ‘ भी भुला जाता है और सिर्फ भगवान ही याद रहते हैं। ऐसी स्थिति पर पहुँचने के बाद जीवन और मृत्यु दोनों सुधर जाते हैं।
इसलिए सत्पुरुष कहते हैं कि जीवन-मरण सुधारना है तो परमात्मा के साथ सम्बन्ध जोड़ो, परमात्मा के साथ प्रेम करो, और सबमें परमात्मा को देखकर सेवा करो। परोपकार भी प्रभु की बड़ी पूजा है। जो ईश्वर बैकुण्ठ में है, जो ईश्वर गोलोक-धाम में है, वही ईश्वर प्रत्येक मानव-शरीर में, पशु-पक्षी के शरीर में है।
सनातन धर्म में ईश्वर का व्यापक स्वरूप जैसा सरल समझाया है उतना किसी दूसरे धर्म में समझाया नहीं है। कोई-कोई तो ऐसा समझते हैं कि ईश्वर सातवीं मंजिल पर बैठे हैं और वहीं से बैठे-बैठे ही सबको देखा करते हैं। जब हमारे ऋषि, परमात्मा ऐसे रहते हैं कि ईश्वर जरा भी दूर नहीं रहते और वे तो सर्वत्र- हमारे अन्तर में भी हैं, इसलिए सब में भगवान के दर्शन करो।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).