अज्ञान ज्ञान को ढ़क तो सकता है, लेकिन मिटा नहीं सकता: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बिना जाने विश्वास नहीं होता और बिना विश्वास के प्रीति नहीं होती, प्रेम नहीं होता और प्रीति के बगैर प्राप्ति नहीं होती क्योंकि प्रेम से ही पाना सम्भव है। अनुभूति के शब्द वही होते हैं जहां व्यक्ति तत्वदर्शी हो। वक्ता में विश्वास बोले और श्रोता में श्रद्धा सुने, तब गजानन, तब ज्ञान प्रकट होता है।
जिस प्रकार धुएं में अग्नि ढ़की हुई है, जिस प्रकार रज में दर्पण ढ़का हुआ है, जिस प्रकार झिल्ली में गर्भ ढ़का हुआ है, उसी प्रकार अज्ञान से ज्ञान ढ़का हुआ है। पाप का कारण है वासना और वासना का कारण है अज्ञान। इसलिए ज्ञान को प्रकट करें, अज्ञान न रहे, वासना न रहेगी तो फिर पाप होगा ही नहीं। इसलिए पाप से बचने का वास्तविक उपाय है कि ज्ञान को प्रकट करे।
रज के कारण दर्पण मलिन हो गया है तो उसको साफ करो, क्योंकि कितनी ही रज लगे दर्पण नहीं मिटता। दर्पण का दर्पणत्व हमेशा कायम रहता है। ज्ञान कभी मिट नहीं सकता क्योंकि वह तो नित्य वस्तु है। अज्ञान उसको ढ़क तो सकता है, मिटा नहीं सकता। साफ करो दर्पण को, और दर्पण पर लगी हुई रज को साफ करने के लिये रज ही चाहिए। प्रश्न होता है कौन सी रज चाहिए?
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। 
बरनऊँ रघुवर विमल जसु जो दायकु फल चारि।। 
सद्गुरु के चरणारविंद की रज से वह रज साफ होगी। करो दर्पण साफ अपना, दिल का, चित्त का, मन का। जब तक यह आइना साफ नहीं है तब तक ठाकुर की तस्वीर देखना मुश्किल है। विश्वबंद्य वैष्णवकुल भूषण पूज्य गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी महाराज कहते हैं-
मुकुर मलिन अरु नयन विहीना। राम  रूप  देखहिं  किमि  दीना।।
मुकुर मलिन हो और जो नयन विहीन हो वह बेचारा रामरूप का दर्शन कैसे कर सकता है? इसलिये इस दर्पण को साफ करे, सद्गुरु के चरणारविन्द की रज से।सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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