सद्गुरु की कृपा से दूर होता है अज्ञान: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पहले ज्ञान की पूजा होती है। गजानन को प्रकट करना, ज्ञान को प्रकट करना है और ज्ञान को प्रकट करने के लिये ये सत्संग है। ये हरि कथा है। इसमें भगवान शंकर सुनाते हैं और भगवती पार्वती सुनती हैं, इसका मतलब विश्वास सुना रहा है और श्रद्धा सुन रही है, तब गजानन का प्राकट्य होता है।
पाप का कारण है संसार की दूषित वासना और वासना का कारण है अज्ञान, इसलिये ज्ञान को प्रकट करें, अज्ञान न रहे। वासना न रहेगी तो फिर पाप होगा ही नहीं। इसलिए पाप से बचने का जो वास्तविक उपाय है वो यही है कि ज्ञान को प्रकट करें। ज्ञान के समान कुछ पवित्र नहीं है। ज्ञान कभी मिट नहीं सकता क्योंकि वह तो नित्य वस्तु है। अज्ञान उसको ढंक तो सकता है लेकिन मिटा नहीं सकता। सद्गुरु की कृपा से यह अज्ञान दूर होता है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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