Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, विश्वास से ही दुनियां चलती है। भरोसा जीवन का आधार है। हम लोग कलिकाल को दोष देते हैं लेकिन भागवत में इसी कलिकाल का लाभ भी बताया है। कलिकाल में कीर्तन मात्र से भगवान की प्राप्ति की बात बताई गई है। हम काल को दोष न दें।
समस्या कलियुग नहीं, हम उसे मिथ्या दोष देते हैं। यत्र योगेश्वरःकृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः। तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम्।। जहां पार्थ है वहां योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं। धनुर्धर पार्थ के निकट योगेश्वर श्रीकृष्ण विराजमान है। जो धनुर्धारी है अर्जुन जैसा, जो पुरुषार्थ के लिए तैयार है, वही मनुष्य भगवान् के निकट रह सकता है। अर्जुन रथी है तो जीवात्मा रथ है। देह भी रथ है। उसके सारथी बनेंगे श्रीकृष्ण और उसके हाथ में हमारे जीवन की बागडोर सौपना है।
हमारे रथ को वह चलायेंगे। हमें युद्ध करना है वे हमारे साथ हैं। आग लग चुकी है ऐसा समझ में आते ही उसको बुझाने के प्रयास में जुट जाना चाहिये और आग को बुझाना हमारे बस की बात अगर नहीं है तो उससे बचने की कोशिश करना चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).