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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तीर्थगुरु पुष्कर की यात्रा करना बड़े सौभाग्य की बात है लेकिन बिना पुण्य के हम पुष्कर दर्शन नहीं कर पाते हैं। एक बार भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों की सभा में कह रहे थे कि जब कोई गंगा नहाने के लिए जाता है तो धर्म के दस हजार सिपाही उसे रोकते हैं। भीम दादा ने मन में सोचा अगर ऐसा है तो अधर्म के सिपाहियों को मैं दंड दूंगा।
दूसरे दिन ही पूर्णिमा थी। भीम दादा गदा ले करके श्रीगंगा जी के किनारे पहुंच गये। सुबह से शाम तक हजारों लोग स्नान करने आये। भीम दादा ने नहीं देखा कि कोई अधर्म का सिपाही किसी को रोक रहा हो। शाम के समय भीम ने भगवान कृष्ण से कहा शास्त्र में जो बात लिखी है वैसा हुआ नहीं। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा शास्त्र ऋषियों ने लिखा है। ऋषि वन में रह करके तपस्या करते थे, उन्हें किसी से कोई स्वार्थ नहीं था, वे असत्य क्यों लिखेंगे? शास्त्र की हर बात सत्य है।
समझ में नहीं आने पर सद्गुरु की शरण में जाने की आवश्यकता है। भीम दादा ने कहा लेकिन गंगा जी के किनारे मुझे कोई अधर्म का सैनिक नहीं दिखाई पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा पूर्णिमा थी आप सुबह से शाम तक गंगा जी के तट पर रहे आपने श्रीगंगाजी में स्नान किया? भीम दादा ने कहा मैंने तो नहीं किया। भगवान श्री कृष्ण ने विनोद में कहा अधर्म के सारे सिपाही आपको पकड़ रखे थे।
जब हम कोई सत्कार्य करना चाहते हैं, पूजा-पाठ, दान-पुण्य, धर्म-कर्म, तीर्थ-यात्रा, संत सेवा- गौ सेवा, माता-पिता की सेवा, जिसमें हमारा कल्याण है तो हमें कौन रोकता है? हमें हमारा पाप ही रोकता है। नहीं इच्छा होने पर भी व्यक्ति को अच्छे कार्य करते रहना चाहिए और प्रबल इच्छा होने के बाद भी व्यक्ति को बुरे कर्म से बचना चाहिए।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).