Jai Shri Ram: भगवान प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या एक बार फिर त्रेतायुग की तरह सज धज कर तैयार है. राम नगरी अयोध्या में 24 घंटे चारों तरफ जय श्री राम के नारे गूंज रहे हैं. पावन नगरी अयोध्या को देखकर ऐसा लग रहा है कि एक बार फिर भगवान प्रभु राम अयोध्या में पधार रहे हैं. रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर राम भक्त कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हर कोई भगवान राम के प्रति अपने श्रद्धा भाव को अर्पित कर रहा है. ऐसे में आज हम आपको भगवान राम से जुड़ी एक ऐसे कहानी के बारे में बता रहे हैं, जो आपको भावुक कर देगी.
दरअसल, 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. ऐसे में हम हर रोज आपके लिए भगवान राम से जुड़ी कोई न कोई रोचक कहानी बता रहे हैं. इसी क्रम में आज हम आपको अयोध्या में स्थित एक ऐसे जगह के बारे में बता रहे हैं, जहां भगवान राम ने जल समाधि ली और बैकुंठ लोक चले गएं. इस दौरान उन्होंने अपने परम भक्त हनुमान जी को पृथ्वी पर ही छोड़ कर चले गए. आइए जानते हैं, इस पावन जगह के बारे में…
यहां से बैकुंठ धाम गए थे भगवान राम
अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्म से लेकर बैकुंठ लोक जाने तक के अनगिनत साक्ष्य मिलते हैं. इनमे से सबसे अंतिम साक्ष्य है सरयु नदी का गुप्तार घाट. रामायण के अनुसार, “जब भगवान राम का देह त्यागने का समय आया तो वह अयोध्या स्थित गुप्तार घाट का चयन किए. गुप्तार घाट पर उनके साथ समस्त अयोध्यावासी और जो जीव उनकी लीला में पधारे थे. वह समस्त प्राणी 33 कोटि के देवी देवता थे जो उनकी लीला में सम्मलित होने के लिए प्रथ्वी पर देह धारण कर के अवतरित हुए थे. समय हो चुका था भगवान राम के अयोध्या नगरी से अपने बैकुंठ धाम पधारने का. सबसे पहले उन्होंने अपनी खड़ाऊ उतार कर रखी और गुप्तार घाट के तट के समीप सरयू जल में जाने लगे.”
इस वजह से हनुमान जी को नहीं ले गए साथ
इस दौरान भगवान राम के अन्नय भक्त हनुमान जी ने कहा प्रभु आपके बिना में क्या करूंगा मुझे भी अपने साथ ले चलें. तब भगवान राम ने हनुमान जी को आदेश दिया कि आपको कलयुग तक पृथ्वी पर रहना है और धर्म का पालन करने वाले भक्तों का कलयुक तक रक्षा करना है. हनुमान जी ने प्रभु राम की आज्ञा को यहां स्वीकार किया. इसलिए कहा जाता है कि हनुमान जी आज भी पृथ्वी पर किसी न किसी रुप में विचरित करते रहते हैं.
पृथ्वी का स्वर्ग है गुप्तार घाट
वहीं, हनुमान जी को आदेश देने के बाद भगवान राम जैसे ही सरयू जल में प्रवेश किए वह अपने साक्षात विष्णु रूप में प्रकट हुए. इस दौरान ब्रम्हा जी समेत 33 कोटि के देवी-देवताओं ने उन्हें प्रणाम किया उत्तम लोक पुनः प्रदान करने का वचन दिया. इसके बाद भगवान प्रभु राम श्रीराम सरयू जल में अंतर्ध्यान हो गए और अपने बैकुंठ लोक पधारे. गुप्तार घाट का वर्णन रामाणय में भी मिलता है. शास्त्रों में इस जगह को पृथ्वी का स्वर्ग और भगवान विष्णु का निवास स्थान कहा गया है. यहां लोग सरयू स्नान करते हैं. ऐसी मान्यता कि यहां स्नान मात्र से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
ये भी पढ़ें- Ayodhya History: एक दो नहीं बल्कि अयोध्या के हैं 12 नाम, जानिए रामनगरी का इतिहास
(Disclaimer: इस लेख में दी गई सामान्य जानकारियों, पौराणिक मान्यताओं और स्थानीय लोगों द्वारा प्रचलित किवदंतियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)