खरमास में करें विष्णु सहस्त्रनाम पाठ और मंत्र का जाप, दूर होंगी जीवन की हर बाधाएं

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Kharmas 2024: खरमास की शुरुआत 14 मार्च 2024 से हो गया है. ज्‍योतिष शास्‍त्र के अनुसार, सूर्य देव जब  धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो खरमास लगता है. धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं. इस तरह साल में दो बार खरमास लगता है. धार्मिक मान्‍यता है कि खरमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. लेकिन पूजा-पाठ के लिहाज से इसे शुभ माना गया है. सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा के लिए ये माह खासतौर से काफी अच्छा माना जाता है. जब सूर्य देव मेष राशि में जाएंगे तो खरमास समाप्त हो जाएगा. 13 अप्रैल तक सूर्य देव मीन राशि में रहेंगे. ऐसे में 13 अप्रैल के बाद ही शुभ कार्य किए जाएंगे.

धार्मिक मत है कि खरमास के दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अति शुभ माना जाता है. विष्णु सहस्त्रनाम में विष्णु देव के एक हजार नाम का वर्णन हैं. जिसकी कुंडली में बृहस्पति नीच राशि में हो, या कमजोर हो तो उसे खरमास के दौरान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ जरूर करना चाहिए.

भीष्म पितामह ने बताई थी विष्‍णु सहस्‍त्रनाम की महिमा

पौराणिक कथाओं में, महाभारत के समय जब भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटे हुए थे तब युधिष्ठिर ने उनसे ज्ञान पाने की इच्छा जाहिर की. युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि ऐसा कौन है जो सभी जगह व्याप्त है और सर्वशक्तिशाली है. कौन है जो हमें इस भवसागर से पार करा सके. इसका जवाब देते हुए भीष्म पितामह ने विष्णु सहस्त्रनाम का वर्णन किया था.

विष्‍णु सहस्‍त्रनाम पाठ का महत्व बताते हुए भीष्म पितामह ने कहा था कि विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ युगों-युगों तक फलदायी सिद्ध होगा. जो भी इसे विधिपूर्वक पढ़ेगा या सुनेगा, उसके हर तरह के कष्ट दूर हो जाएंगे. इस का पाठ करने वाले साधक पर दुर्भाग्य, खतरों, दुर्घटनाओं, काला जादू और बुरी नजर का असर नहीं होगा.

ऐसे करें पाठ

  • विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने के लिए सुबह जल्दी स्नान कर निवृत्त होने के बाद पीले वस्त्र धारण करें.
  • भगवान नारायण को पीले पुष्प, चंदन, पीले अक्षत और धूप-दीप अर्पित करें. इसके बाद उन्हें गुड़ और चने का भोग चढ़ाएं. इसकेबाद उनके सामने बैठकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.
  • विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु को शिव, शंभु और रुद्र जैसे नामों से भी पुकारा गया है, जो ये स्पष्ट करता है कि भगवान शिव और विष्णु वास्तव में एक ही हैं.

इस मंत्र का करें जाप

अगर आप नियमित विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने में असमर्थ हैं तो आप इस मंत्र का नियमित जाप करें. ज्‍योतिष मान्‍यता है कि ये मंत्र विष्णु भगवान के सहस्त्र नाम के बराबर फल देने वाला है.

नमो स्तवन अनंताय सहस्त्र मूर्तये, सहस्त्रपादाक्षि शिरोरु बाहवे, सहस्त्र नाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्त्रकोटि युग धारिणे नमः’’

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