सद्गुरु के उपदेश से प्रकट होता है ज्ञान: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जब तक महापुरुषों के चरणारविंद रज का हमारे मस्तक पर अभिषेक नहीं होता तब तक अज्ञान नहीं मिटता, चाहे लाख यत्न करे कोई तो सद्गुरु के चरणारविंद की रज से ही यह रज साफ होगी और जैसे ही दर्पण साफ हो जाये चित्त का, सद्गुरु की सेवा से, सद्गुरु के उपदेश से ज्ञान प्रकट होता है। फिर जिज्ञासा से प्रश्न करो, सत्कर्म करो, सेवा करो, इससे चित्त शुद्ध होता है, इससे मन रूपी मुकर साफ होता है और दिल का दर्पण साफ हो जाता है –
गुरु पद रज मृदु मंजुल अंजन।
नयन अमिअ दृग दोष विभंजन।।
तेहि करि विमल विवेक विलोचन।
वरनउ रामचरित भव मोचन।।
कर्म करते वक्त व्यक्ति को सावधानी बरतनी चाहिये क्योंकि कर्म करने में मानव को स्वतंत्र बनाया गया। आप कर्म करने में स्वतंत्र हैं, चाहे पाप कर्म करो या पुण्य कर्म करो। मानव जन्म की विशेषता यही है। दूसरे सब प्राणी प्रकृति से प्रेरित कर्म करते हैं जबकि मनुष्य कर्म करने में स्वतंत्र है। कर्म करने में मनुष्य स्वतंत्र है, लेकिन याद रहे फल पाने में आप स्वतंत्र नहीं हैं। उसमें तो आप परतंत्र हैं।
मतलब आप जैसा कर्म करेंगे उसका वैसा फल आपको भोगना पड़ेगा। फल मांगना नहीं पड़ेगा, फल मिलेगा। कर्म फल दिये बगैर शांत होता ही नहीं है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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