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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आपको संसार अच्छा लगता होगा तो आपके मन में संसार जायेगा और आपको प्रभुस्वरूप अच्छा लगता होगा तो आपके हृदय में प्रभु-स्वरूप बस जायेगा। मानव को शान्ति से विचार करना चाहिए कि उसे क्या अच्छा लगता है? सौंदर्य किसमें दिखाई देता है? किसी-किसी को तो कपड़ों और जूतों में भी सौंदर्य दिखाई देता है।
संत जीव को बार-बार समझाते हैं कि देह में दृष्टि रखना छोड़ दो, भगवान में दृष्टि रखो, क्योंकि देह में नहीं, भगवान में सच्चा सौंदर्य है। देह के साथ नहीं, भगवान के साथ सम्बन्ध जोड़ो। संसार का सम्बन्ध तो एक दिन छोड़ना ही पड़ता है। इस बात को भूलना नहीं चाहिए। जीव का संसार के साथ का सम्बन्ध कच्चा है, ईश्वर के साथ का सम्बन्ध ही सच्चा है।
मैं भगवान का हूँ, यह जो समझता है, वही भक्ति कर सकता है और पीछे भक्ति जब बढ़ जाती है, तब ऐसा अनुभव भी होता है कि भगवान मेरे हैं। ज्ञान-वैराग्य से जब भक्ति परिपूर्ण हो जाती है, तब अहम् भगवान में लीन हो जाता है और केवल भगवान ही बाकी रहते हैं। मैं भगवान का हूँ, इस भाव से परमात्मा की सेवा स्मरण करते-करते जब हृदय शुद्ध हो जाता है और भक्ति की मात्रा बढ़ जाती है, तब भगवान मेरे हैं – ऐसा दिव्य अनुभव हो जाता है और फिर ऐसी श्रद्धा जागृत हो जाती है कि मैं जब चाहूँ तब भगवान मुझे दर्शन देंगे और मेरे साथ रहेंगे।
कदाचित कभी मैं भगवान को भूल भी जाऊं तो भी भगवान मुझे भूलने वाले नहीं है। इस तरह भक्ति-प्रेम बढ़ जाता है, तब भगवान से अनोखी आत्मीयता का अपने आप अनुभव होता है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).