Lord Shiva: आखिर किसके ध्यान में मग्न रहते हैं महादेव? जानिए कौन हैं भगवान शिव के आराध्य

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Lord Shiva: सनातन धर्म में 18 पवित्र पुराण है. इन पुराणों में महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित शिव पुराण सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला महत्वपूर्ण पुराण है. 18 पवित्र पुराणों की लिस्‍ट में शिव पुराण चौथे स्थान पर आता है. इस पुराण में विशेषकर देवो के देव महादेव की महिमा और भक्ति का वर्णन है. शैव मत से संबंधित शिव पुराण में कुल 6 खण्ड और 24 हजार श्लोक हैं. साथ ही इसमें शिव के विभिन्न रूप, अवतार, ज्योतिर्लिंग और भक्ति-शक्ति का विस्तारपूर्वक उल्लेख है. महादेव को भोलेनाथ, शिव, नीलकंठ, अर्धनारीश्वर जैसे कई नामों से जाना जाता है. मान्‍यता है कि जो भी भक्‍त भगवान शिव की सच्‍ची श्रद्धा से पूजा-अराधना करता है, उसकी समस्‍त मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

किसके ध्यान में मग्न रहते हैं महादेव

आपने भगवान शिव की कई प्रतिमा या तस्वीर देखी होगी, जिसमें वो अधिकतर ध्यान की मुद्रा में रहते हैं. ऐसे में सवाल ये है कि आ‍खिर भोलेनाथ किससे ध्‍यान में मग्‍न रहते हैं. कौन हैं भगवान शिव का आराध्य देव. इसके बारे में शिव पुराण में विस्‍तार से बताया गया है.

राम का ध्यान लगाते हैं महादेव

शिव पुराण के अनुसार, महादेव भगवान श्रीराम के ध्यान में मग्न रहते हैं. इसके संबंध में एक कथा भी प्रचलित है. कथा के अनुसार- एक बार शिवजी के ध्यान से उठने के बाद माता पार्वती ने उनसे पूछा कि, स्वामी आप तो स्वयं देवों के देव हैं, आपको देवाधिदेव कहा जाता है, फिर आप किस देवता का ध्यान करते हैं.

पार्वती मईया के प्रश्न का जवाब देते हुए शिवजी बोले कि वह जल्द ही इस प्रश्न का उत्तर देंगे. फिर शिवजी ने कौशिक ऋषि के सपने में आकर उन्हें राम रक्षा स्त्रोत लिखने का आदेश दिया. लेकिन सपने में ही कौशिक ऋषि ने कहा कि वे राम रक्षा स्त्रोत लिखने में असक्षम हैं. इसके बाद शिवजी ने ऋषि को ज्ञान प्राप्ति की शक्ति दी, जिसके बाद कौशिक ऋषि ने राम रक्षा स्त्रोत लिखा.

इसके बाद भोलेनाथ माता पार्वती को राम रक्षा स्त्रोत पढ़कर सुनाने लगे. इसके साथ ही उन्होंने माता पार्वती को यह भी बताया कि वे भगवान राम का ध्यान करते हैं. यही वजह है कि राम नाम का एक जप भगवान विष्णु के सहस्त्र नाम यानी हजारों नाम जपने के बराबर है. इसलिए भगवान राम ही महादेव के आराध्‍य है.

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