नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने भौमासुर का किया था उद्धार: दिव्य मोरारी बापू 

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, कार्तिकमास, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी तिथि को अनेक नामों से जाना जाता है, साधना पक्ष में इस तिथि का बहुत महत्व है। तंत्र साधना करने वाले इस स्थिति पर अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त करते हैं। श्री हनुमान जी के मंत्रों की सिद्धि भी प्राप्त करने के लिए ये सर्वोत्तम तिथि है। श्री हनुमान जयंती -श्रीवाल्मीकि रामायण और कई पुराणों में कार्तिकमास, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी तिथि, स्वाति नक्षत्र में अर्धरात्रि के समय रुद्रावतार श्रीहनुमान जी के प्राकट्य की कथा आयी है।
श्रीशिवमहापुराण और अनेक धर्मग्रंथो में चैत्र पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी के अवतरण की तिथि बताई गयी है। पूज्य गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी महाराज ने इस प्रकार के प्रसंगों में कल्पभेद कारण बताते हैं। किसी कल्प में श्री हनुमान जी का अवतरण कार्तिक कृष्णपक्ष चतुर्दशी तिथि को हुआ है। जिसकी कथा श्रीबाल्मीकिरामायण, श्रीवराहपुराण, श्रीवामनपुराण आदि में वर्णन मिलता है।और किसी दूसरे कल्प में श्री हनुमान जी का अवतरण चैत्रमास पूर्णिमा तिथि को है। श्री अयोध्या जी में हनुमान जयंती कार्तिकमास कृष्णपक्ष चतुर्दशी  को ही अनादि काल से मनाया जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा, व्रत उनको विशिष्ट भोग लगाने का विशेष फल प्राप्त होता है।
कार्तिकमास कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को काली चौदस भी कहते हैं। इस दिन मां भगवती की आराधना उपासना करने का भी विशेष फल है। तंत्र साधना करने वाले लोग इस दिन मंत्रों को सिद्ध करने के लिए जप हवन करके मंत्रों को सिद्ध करते हैं। कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन विविध प्रकार के मंगल द्रव्यों को जल में डाल करके स्नान करने से स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने भौमासुर का उद्धार किया था। भौमासुर का ही दूसरा नाम नरकासुर था। इस दिन भगवान श्रीराधाकृष्ण की विशिष्ट पूजा करने से हर प्रकार के सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को धर्मचतुर्दशी अथवा यमचतुर्दशी भी कहते हैं। इसी दिन भगवान धर्मराज धर्म की गादी पर विराजमान हुए। सबने उनका पूजन किया। इस दिन धर्मराज की पूजा करने से जीवन में अखंड धर्म की स्थापना होती है। धर्मराज और यमराज एक ही देव का नाम है। इस दिन उनकी पूजा करने से अकाल मृत्यु की बाधा का निवारण होता है। कार्तिकमास, कृष्णपक्ष, चतुर्दशी, छोटी दिवाली को मां लक्ष्मी, श्री हनुमान जी महाराज, भगवान श्रीराधा-कृष्ण जी, माता महाकाली और धर्मराज की पूजा का विशेष फल बताया गया है।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).
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