Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर महादेव को भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, वरना हो जाएंगे परेशान

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Mahashivratri 2024, Puja Niyam On Shivling: कल यानी 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. इसको लेकर शिवालयों में तैयारियों जोर-शोर से चल रही है. महाशिवरात्रि के खास मौके पर शिव भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें गाय का दूध, गंगाजल, बेलपत्र, भांग और धतूरा समेत अन्य पूजन सामग्री अर्पित करेंगे. लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी हैं, जिसे भगवान शिव की पूजा में वर्जित बताया गया है. यदि आप जानें-अनजाने में भी महादेव को ये चीजें अर्पित कर देते हैं तो वे तुरंत नाराज हो जाएंगे और आपको परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. आइए जानते हैं कौन सी वो चीजें हैं, जिसे महादेव की पूजा में नहीं अर्पित करना चाहिए.

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हल्दी

हल्दी को भी श्रृंगार और सौंदर्य से जुड़ी वस्तु माना जाता है. इसलिए इसे भगवान शंकर की पूजा में वर्जित माना गया है.

तुलसी का पत्ता

भगवान शिव की पूजा में तुलसी का पत्ता नहीं चढ़ाना चाहिए, क्योंकि भगवान शिव ने वृंदा के पति असुरराज जालंधर का वध किया था. उसके बाद वृंदा ने स्वयं अपना जीवन समाप्त कर लिया और जहां उन्होंने प्राण त्याग किया, उस स्थान पर तुलसी का पौधा उग आया. इसलिए भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

नारियल

भगवान शिव की पूजा में नारियल का प्रयोग पुर्णतः वर्जित है, क्योंकि नारियल में मां लक्ष्मी का साक्षात वास माना जाता है और वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं. इस वज​ह से भगवान शिव की पूजा में नारियल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

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सिंदूर या कुमकुम

कई बार हम भूलवश​ माता पार्वती के साथ शिव जी को भी सिंदूर या कुमकुम लगा देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. भगवान शिव स्वयं संन्यासी और तपस्वी हैं. इसलिए उनकी पूजा में श्रृंगार से जुड़ी वस्तु सिंदूर या कुमकुम नहीं लगाना चाहिए.

केतकी का फूल

ऐसी मान्यता है केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था. इसलिए शिव जी केतकी के फूल को अपनी पूजा में स्वीकार नहीं करते हैं. शिव जी को केतकी का फूल चढ़ाने से वो नाराज हो जाते हैं.

शंख

भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था, जिसकी हड्डियों से शंख का निर्माण हुआ. इस वजह से शिव पूजा में शंख वर्जित है. भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग करने से वो नाराज हो जाते हैं.

तिल और टूटे अक्षत्

भगवान शिव की पूजा में कभी भी तिल या टूटे अक्षत का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के मैल से हुई थी, वहीं अक्षत् का अर्थ क्षति से रहित अर्थात् आप जो भी चावल अक्षत् के रूप में चढ़ाते हैं, वह पूरा होना चाहिए, टूटा हुआ नहीं.

ये फूल भी हैं वर्जित

भगवान शिव की पूजा में केवड़े का फूल, कनेर, कमल और लाल रंग के फूल नहीं अर्पित करना चाहिए.\

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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