Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर पहली बार करने वाले हैं व्रत? पूजा के समय जरूर सुनें ये कथा

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Mahashivratri Vrat Katha 2024: इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 8 मार्च को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्‍गुन मास के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है, क्‍योंकि इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती शादी के बंधन में बंधे थे. देवाधिदेव महादेव को समर्पित इस दिन शिवभक्‍तों में खास तरह का उत्‍साह देखने को मिलता है. इस दिन भक्‍त विधि विधान से भगवान शिव शक्ति की पूजा-अराधना करते हैं. ऐसे में अगर आप महादेव जी की कृपा पाने के लिए इस साल में पहली बार महाशिवरात्रि व्रत रखने वाले हैं तो आपको सबसे पहले महाशिवरात्रि व्रत कथा के बारे में जरूर जान लेना चाहिए. महाशिवरात्रि व्रत कथा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. इस दिन व्रत रखकर विधिनुसार शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए और महाशिवरात्रि की कथा सुनना या पढ़ना चाहिए. पूजा के दौरान महाशिवरात्रि व्रत कथा सुनना बहुत फलदायी माना जाता है.

पैराणिक कथाओं के मुताबिक, एक बार पार्वती मां ने भगवान भोलेनाथ से पूछा कि आपकी कृपा पाने के लिए सबसे आसान व्रत कौन सा है. तब शिवशंकर ने माता पार्वती को शिवरात्रि व्रत की महिमा, व्रत और पूजा करने की विधि बताई. इसके अलावा महाशिवरात्रि व्रत की कथा भी सुनाई.

ये है पौराणिक कथा

शिव पुराण के अनुसार, एक गांव में एक शिकारी रहता था. वह पशुओं का शिकार करके अपना घर परिवार संभालता था. शिकारी गांव के ही एक साहूकार का कर्जदार था. वह बहुत प्रयासों के बाद भी कर्ज से मुक्ती नहीं पा रहा था. एक दिन क्रोधित होकर साहूकार ने उसे शिवमठ में बंदी बना लिया. जिस दिन उसने बंदी बनाया, उस दिन शिवरात्रि का ही दिन था.

शिवमठ में शिवरात्रि की कथा हो रही थी. उस समय शिकारी ने शिवरात्रि की कथा को सुना. शाम के समय में उसे साहूकार के सामने लाया गया तो शिकारी ने वचन दिया कि अगले दिन वह सभी ​कर्ज को चुका देगा. इस पर साहूकार ने शिकारी को छोड़ दिया. शिकारी वहां से जंगल में गया और शिकार की तलाश में लग गया. वह एक तालाब के किनारे पहुंचा और वहां पर वह एक बेल के पेड़ पर अपना ठिकाना बनाने लगा. उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था, जो बेलपत्रों से ढंका हुआ था. शिकारी को इसकी जानकारी नहीं थी.

अनजाने में हो गई शिव की पूजा

पेड़ की टहनियों को तोड़कर वह नीचे फेंकता गया और बेलपत्र उस शिवलिंग पर गिरते गए. वह भूख प्यास से तड़प रहा था. जाने-अनजाने में उससे भगवान शिव की पूजा हो गई. दोपहर तक वह भूखा ही रहा. रात में एक गर्भवती हिरण तालाब में पानी पीने आई. तभी शिकारी ने उस हिरण को मारने के लिए धनुष-बाण तैनात किया. उस हिरण ने कहा कि वह बच्चे को जन्म देने वाली है, तुम एक साथ दो हत्या मत करो. बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी, तब तुम मुझे मार लेना. यह सुनकर शिकारी ने उसे छोड़ दिया.

कुछ समय बाद एक और हिरण आई तो शिकारी उसका शिकार करने को तैयार हो गया. तभी उस हिरण ने कहा कि वह अभी ऋतु से मुक्त हुई है, वह अपने पति की तलाश कर रही है, क्योंकि वह काम के वशीभूत है. वह जल्द ही पति से मिलने के बाद शिकार के लिए उपस्थित हो जाएगी. शिकारी ने उसे फिर से जाने दिया.

एक साथ आए कई हिरण

देर रात एक हिरण अपने बच्चों के साथ उस तालाब के पास आई. शिकारी एक साथ कई शिकार देखकर बहुत खुश हुआ. जैसे ही वह शिकार के लिए तैयार हुआ, हिरण बोली कि वे अपने बच्चों के साथ इनके पिता की तलाश कर रही है. जैसे ही वो मिलेंगे वह शिकार के लिए आ जाएगी. इस बार शिकारी उन्हें छोड़ना नहीं चाहता था, लेकिन उस हिरण ने शिकारी को उसके बच्चो का हवाला दिया तो उसने उसे फिर से छोड़ दिया.

अब शिकारी बेल वृक्ष पर बैठकर बेलपत्र तोड़कर नीचे फेंकते गया. अब सुबह होने ही वाली थी, तभी वहां एक और हिरण आया. शिकारी उसे मारने के लिए तैयार हुआ, लेकिन ​हिरण ने कहा कि इससे पहले तीन हिरण और उनके बच्चों को तुमने मारा है, तो उसे भी मार दो क्योंकि उनका वियोग सहन नहीं होगा. अगर उनको जीवन दान दिया है तो उसे भी जाने दो, परिवार से मिलकर तुम्हारे सामने आ जाऊंगा.

शिकारी का बदल गया था मन

रातभर उपवास, रात्रि जागरण और अनजाने में ​बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा के असर से शिकारी दयालु बन गया. उसने उस हिरण को भी छोड़ दिया. उसके मन में भक्ति की भावना आ गई. वह पुराने कर्मों को सोचकर पछताने लगा. तभी उसने देखा कि हिरण का पूरा परिवार शिकार के लिए उसके पास आ गया. यह देखकर उसका दिल और भी करुणामय हो गया और रोने लगा. उस शिकारी ने हिरण परिवार को जीवन दान दिया. साथ ही स्वयं हिंसा को छोड़कर दया के मार्ग पर चलने लगा. शिव कृपा से वह शिकारी तथा हिरण का परिवार मोक्ष को प्राप्त हुआ. इस तरह जो भी नर-नारी इस कथा को पढ़ते या सुनते हैं उनकी समस्‍त दुख दूर होते हैं और इस लोक में नाना प्रकार के सुख को भोगकर अंत में वो मोक्ष को प्राप्‍त होता है.

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