Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति के दिन क्यों है खिचड़ी खाने की परंपरा? जानिए धार्मिक मान्यता

Divya Rai
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Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Makar Sankranti 2024: हिंदू धर्म में खिचड़ी यानी मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2024) का विशेष महत्व है. ये पर्व इसलिए बेहद खास होता है क्योंकि इस दिन से खरमास का महीना खत्म होता है और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती जाती है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति कहा जाने लगा. इस दिन लोग गंगा स्नान, पूजा-पाठ, दान-पुण्य करते हैं. साथ ही इस दिन खिचड़ी खाने की भी प्रथा सदियों से चली आ रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी का सेवन करना क्यों अनिवार्य होता है…

मकर संक्रांति की तिथि

इस साल भी मकर संक्रांति को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. लोग हर वर्ष की तरह इस बार भी कंफ्यूज हैं कि, कब मकर संक्रांति मनाया जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी. सूर्य देव सोमवार की 2 बजकर 43 मिनट पर मकर राशि में गोचर करेंगे.

क्यों है खिचड़ी खाने की परंपरा

जिस तरह मकर संक्रांति के दिन गुड़, रेवड़ी, तिल, दही-चूड़ा खाने का महत्व है. वैसे ही इस दिन खिचड़ी खाने की भी परंपरा है. इसलिए मकर संक्रांति को खिचड़ी भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, खिचड़ी एक साधारण भोजन नहीं है, बल्कि इसका नवग्रहों से संबंध होता है. मान्यताओं के अनुसार, चावल का संबंध चंद्रमा से, दाल, हरी सब्जियों का बुध से, हल्दी का गुरु से, मसाले, घी से बनी हुई खिचड़ी का मंगल ग्रह से संबंध है. ऐसे में इस दिन खिचड़ी का सेवन करने से व्यक्ति को शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं. साथ ही खिचड़ी दान करने से शनि देव और सूर्य देव की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है.

ये भी पढ़ें- Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी, 14 या 15 जनवरी? जानिए सही तारीख व शुभ मुहूर्त

कैसे शुरू हुई खिचड़ी की परंपरा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, खिचड़ी का दान और सेवन अलाउद्दीन खिलजी और बाबा गोरखनाथ से जुड़ा है. बाबा गोरखनाथ और अलाउद्दीन खिलजी के बीच युद्ध हुआ था. युद्ध की वजह से कोई भी योगी खाना नहीं खा पाते थे. जिसके कारण उनकी शारीरिक शक्तियां कमजोर पड़ रह थीं. उसी दौरान बाबा गोरखनाथ ने चावल, दाल और सब्जियों को पकाकर भोजन तैयार किया, और इसी भोजन को ‘खिचड़ी’ कहा जाने लगा.

ये एक ऐसा व्यंजन है, जो काफी कम समय, कम मेहनत और सीमित साम्रगी में बन जाता है. इसका सेवन करने से शारीरिक शक्तियां मिलती थी. जब खिलजी ने भारत छोड़ा, तब योगियों ने खिचड़ी को मकर संक्रांति पर्व पर बनाकर भोग लगाया था. तभी से मकर संक्रांति पर खिचड़ी बनाई जाती है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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