Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के दिन करें ये शुभ काम, मां लक्ष्मी की बरसेगी कृपा

Divya Rai
Content Writer The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Makar Sankranti 2025: हिन्‍दू धर्म में मकर संक्रांति को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्‍योहार को देश के अन्य जगहों पर उत्तरायण, पोंगल, माघ बिहु, मकरविलक्कु और खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है.यह सूर्योपासना का ऋतु पर्व है. जब सूर्य मकर राशि पर होकर उत्तरायण हो जाता है तो संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, जो इस वर्ष 14 जनवरी 2025 को है.

सूर्य एक प्रत्यक्ष देवता हैं जो निरंतर क्रियाशील रहकर धरती पर निवास करने वाले प्राणियों का भरण पोषण करते हैं. हिन्‍दू धर्म में सूर्य के उत्तरायण होने पर देवी-देवताओं के दिन शुरू हो जाते हैं, ऐसे में मकर संक्रांति के दिन कुछ विशेष कार्य करने से धन लक्ष्मी प्रसन्न होती है. जीवन का अंधकार मिट जाता है. व्यक्ति का भाग जाग जाता है और सफलता उसके कदम चूम लेती है.

मकर संक्रांति पर करें 14 काम

नदी स्नान- शास्त्रों के मुताबिक, मकर संक्रांति पर गंगा जी धरती पर अवतरित हुई थी. इस दिन गंगा स्नान करने से हजारों गुना पुण्य प्राप्त होता है. गंगासागर में इस दिन मेला भी लगता है.

गाय को हरा चारा खिलाना- हिन्‍दू धर्म के मुताबिक, गाय में 33 कोटी देवी देवताओं का वास होता है. इसलिए मकर संक्रांति के अवसर पर गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए. इससे सौभाग्‍य की प्राप्ति होती है.

तिल से हवन- ज्‍योतिष शास्‍त्र के मुताबिक, षटकर्म में काले तिल और लक्ष्मी कर्म में सफेद तिल इस्तेमाल करने से जल्दी ही आर्थिक लाभ होता है. मकर संक्रांति पर गाय के घी में सफ़ेद तिल मिलाकर लक्ष्मी या श्री सूक्त का हवन करें. इससे घर में लक्ष्मी जी ठहर जाती हैं.

पतंग उड़ाने का महत्व- तमिल की तन्नाना रामायण के मुताबिक, भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत की थी. मकर संक्रांति पर प्रभु श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी, वो इंद्रलोक तक पहुंच गई थी. यही कारण है कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाई जाती है. पतंग उड़ाने के पीछे का मकसद सूर्य के प्रकाश में समय बिताना है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तो मकर संक्रांति के दिन सूर्य की किरणें अमृत समान होती है.

तिल गुड़ का सेवन- ज्‍योतिष में तिल को दारिद्रय नाशक कहा गया है. मकर संक्रांति के समय ठंड रहती है, ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन करना चाहिए. इससे शरीर में स्‍फूर्ति आती है. साथ ही व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.

दान- मकर संक्रांति के दिन काले तिल, सफेद तिल, गुड़, सुहाग सामग्री का दान करने से दुर्भाग्य खत्‍म हो जाता है.

खिचड़ी का भोग- मकर संक्रांति के दिन विशेषकर चावल, दाल, सब्जियों, घी से बनी खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. माना जाता है इसके सेवन करने और दान से नवग्रह प्रसन्न रहते हैं.

पितर तर्पण- मकर संक्रांति पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण करने का विधान है. इससे घर में खुशहाली आती है और वंश बढ़ता है.

अनाज की पूजा- यह त्योहार नई फसल के आगमन की खुशी के रूप में भी मनाया जाता है. ऐसे में इस दिन खेती से जुड़े समस्त उपकरण और मवेशियों की पूजा करनी चाहिए. इंद्रदेव और सूर्य का आभार प्रकट करना चाहिए. इससे वर्षभर धन-अन्न की कमी नहीं होती.

नया कार्य- ज्‍योतिष के मुताबिक, इस दिन नए कार्य की शुरुआत करना शुभफलदायी होता है. माना जाता है इससे भाग्य सूर्य की तरह चमकता है.

शनि देव, सूर्य पूजा- मान्‍यता है कि मकर संक्रांति सूर्य और शनि (पिता-पुत्र) के मिलन का दिन है. ये दोनों ग्रह कुंडली में अहम माने जाते हैं. इस दिन सूर्य की पूजा से करियर में लाभ मिलता है तो वहीं शनि की पूजा से कष्टों का विनाश होता है.

इस विधि से मां लक्ष्मी पूजा- मकर संक्रांति के दिन मां लक्ष्‍मी पूजा का भी विधान है. इस दिन स्नान के बाद 14 कौड़ियों को गंगाजल से स्नान कराकर पूजा करें. साथ ही ‘ॐ संक्रात्याय नमः’ मंत्र से 14 बार जप करें. घी का दीपक जलाकर तुलसी के पास रखें. तिल के तेल का दीपक जलाकर मुख्य द्वार पर रखें. ऐसा करने से घर में लक्ष्मी का निवास करती हैं.

इस मंत्र का करें जाप- मनचाहा फल प्राप्ति के लिए मकर संक्रांति के दिन इस मंत्र का 108 बार जाप करें- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा.

झाड़ू खरीदें- मान्‍यता है कि मकर संक्रांति के लिए झाड़ू खरीदने से धन लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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