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The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, परिवार एक मंदिर हो, जिसमें एकता के देव बैठे हों और उस एकत्व की आराधना में परिवार के सभी सदस्य लगे हुए हों। यह तब ही संभव है जब परिवार का मंदिर प्रेम की नींव पर खड़ा किया जाये और सच मानिए उस एकत्व की आराधना को ही ईश्वर की आराधना कहा जायेगा।
जो छोटी सोच वाले लोग होते हैं, जिनकी सोच में संकीर्णता है जो कूपमंडूक वृत्ति में जीने वाले लोग हैं उनके मन में अपने और पराये का भेद रहता है। किन्तु जो उदार चेता हो जाते हैं उनके लिए संपूर्ण विश्व एक परिवार है। श्री कृष्ण गीता में कहते हैं- यज्ञ, दान, तप ये तीन मनुष्य को पवित्र करने वाले साधन हैं। इसलिए कभी इसका त्याग नहीं करना चाहिए।
यह निरन्तर करते रहना चाहिए। दशा हमारी आज इसलिए खराब है कि या तो हम गतिशीलता खो चुके हैं या तो हमारी गतिशीलता गलत दिशा में है। जब आदमी कमजोर हो जाता है, समाज कमजोर हो जाता है, राष्ट्र कमजोर हो जाता है तो फिर इसको गुलाम होना पड़ता है। कमजोर होना भी पाप है। जैसे चोरी करना पाप है, बेईमानी करना पाप है, झूठ बोलना पाप है। पाप की सूची में एक बात और लिख लें, कमजोर होना भी पाप है। हम सबके देश का हर नागरिक इस पाप से मुक्त हो और हम अपने आप को मजबूत बनायें।
सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).