मानव का साध्य केवल एक ही है मोक्ष: दिव्य मोरारी बापू

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत महापुराण में इस प्रकार संकेत किया गया है कि- हे ईश्वर ! यह शरीर तेरा मंदिर है, अतः मैं इसे हमेशा पवित्र रखूंगा। आपने मुझे यह हृदय दिया है, मैं इसे आपकी भक्ति से भरपूर कर दूंगा। आपने मुझे यह बुद्धि दी है, इस बुद्धि रूपी दीपक को मैं हमेशा निर्मल और तेजस्वी रखूंगा।
भारतीय संस्कृति में धर्म का मतलब केवल शिखा (चोटी) माला या जनेऊ धारण करना ही नहीं है, यह सभी उपकरण ईश्वर प्राप्ति के साधन मात्र हैं, जीवन के साध्य नहीं। मानव का साध्य केवल एक ही है- मोक्ष, आत्यन्तिक सुख-शांति। ईश्वर से अधिक सुंदर और प्रिय कौन हो सकता है?
मानव शरीर उस ईश्वर का आवास है, उसे मनमोहक एवं सुसंस्कृत बनाना हमारा कर्तव्यरूप धर्म है। मन की प्रसन्नता, शांत भाव, भगवच्चिंतन, मन का निग्रह और अंतःकरण के भावों की पवित्रतारूप आंतरिक शुद्धि से ईश्वर के शरीर-रूप निवास स्थान को सजाना आवश्यक है।धर्म कहता है संपत्ति प्राप्त करना है, करो। लेकिन प्राप्त करो प्रामाणिकता से, उत्तम व्यवहार से, शोषण या लूट खसोट से नहीं। दूसरों को रुला कर स्वयं मत हंसो।
धर्म कहता है-संसार में रहो, संसार के समस्त सुखों को प्राप्त करो। लेकिन विवेक के साथ, पशु जैसा नहीं, मानव जैसा करो। संसार के सुखों को सदा विवेकरूप धर्म के अंकुश में रखना चाहिए। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान).

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